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बीएचयू आयुर्वेद विभाग में बिना सर्जरी खूनी बवासीर का इलाज

गांव-गिरांव में जिस पौधे अपामार्ग से ग्रामीण दूर भागते हैं उसी के क्षार से बीएचयू आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग में खूनी बवासीर का इलाज हो रहा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 15 Feb 2018 11:56 AM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2018 12:18 PM (IST)
बीएचयू आयुर्वेद विभाग में बिना सर्जरी खूनी बवासीर का इलाज
बीएचयू आयुर्वेद विभाग में बिना सर्जरी खूनी बवासीर का इलाज

वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत] । अनियमित जीवनशैली का परिणाम माने जाने वाले रोग खूनी बवासीर से पीडि़त लोगों के लिए राहत की खबर। अब इसका इलाज बिना सर्जरी के ही महज 38 से 40 सेकेंड में संभव है। मरीज के सौ तक की गिनती गिनने तक में ही इलाज की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है। गांव-गिरांव में जिस पौधे अपामार्ग से ग्रामीण दूर भागते हैं उसी के क्षार से बीएचयू आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग में खूनी बवासीर का इलाज हो रहा। अब तक करीब सौ मरीजों को इससे मुक्ति दिलाई जा चुकी है। अपामार्ग के पौधे से खूनी बवासीर के इलाज का नुस्खा द्रव्य गुण विभाग के प्रो. शिवजी गुप्ता और प्रो. अनिल कुमार सिंह के दिशा-निर्देशन में डा. जसमीत सिंह ने खोजा।

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40 से 50 दिन में तैयार होता क्षार

डा. जसमीत सिंह ने बताया कि अपामार्ग के पौधे से क्षार तैयार करने में 40 से 50 दिन लगते हैं। इलाज के पहले मरीज को सौ तक गिनती गिनने को कहा जाता है। इसके बाद मस्से पर क्षार का लेप लगाते हैं। जिसे 38-40 सेकेंड के बाद नीबू के रस से धो देते हैं। इतने कम समय में ही मस्सा पूरी तरह गायब हो जाता है।

कम खर्च में उपलब्ध सटीक इलाज

खूनी बवासीर के इलाज की पूरी प्रक्रिया में किसी तरह की सर्जरी नहीं की जाती है। पूरे इलाज में बहुत कम खर्च भी आता है। अपामार्ग का पौधा पूरे भारत में आसानी से पाया जाता है। डा. सिंह ने बताया कि जिन 100 मरीजों का इलाज किया गया है उनमें से कोई दोबारा उपचार कराने या पूर्ववत रोगग्रस्त रहने की जानकारी देने नहीं आया।

कर्नाटक में भी उपचार की सुविधा

डा. जसमीत सिंह ने बताया कि इस तरह का इलाज बीएचयू के अलावा पूरे भारत में केवल कर्नाटक के पुतुर में डा. रविशंकर परवाजे द्वारा किया जाता है। एटलस ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिबल प्लांट्स पर पुस्तक लिख चुके डा. सिंह ने बताया कि उनका शोध वल्र्ड जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में भी प्रकाशित हो चुका है।

कब्ज से शुरू होती है बवासीर की समस्या

आयुर्वेद विभाग के प्रो. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि अगर पांच मिनट में नित्यक्रिया से निवृत्त हो जाते हैं तो इसका अर्थ है कि पेट पूरी तरह ठीक है। खूनी बवासीर की समस्या कब्ज से शुरू होती है। ऐसे में फाइबरयुक्त खाद्यपदार्थ खाने में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही एक घंटे लगातार बैठने के बाद कम से कम 10 मिनट जरूर टहलें।  


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