फेंसिंग के कवच में 160 Km की गति से दौड़ेंगी ट्रेनें, ट्रैक पर नहीं टकराएंगे जानवर; जानिए क्या होंगे फीचर्स
यूरोप की तर्ज पर तेज रफ्तार से दौड़ रही ट्रेनों को किसी अप्रिय घटना से बचाने के लिए सेमी हाई स्पीड रेलखंड को फेंसिंग का कवच दिया जाएगा। लखनऊ से कानपुर तक रेलवे जिस रुट को सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के लिए अपग्रेड करेगा।
लखनऊ, जेएनएन। यूरोप की तर्ज पर तेज रफ्तार से दौड़ रही ट्रेनों को किसी अप्रिय घटना से बचाने के लिए सेमी हाई स्पीड रेलखंड को फेंसिंग का कवच दिया जाएगा। लखनऊ से कानपुर तक रेलवे जिस रुट को सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के लिए अपग्रेड करेगा। उसके रास्ते मे सात ओवर ब्रिज और 27 अंडरपास आएंगे। रेलवे मण्डल मुख्यालय ने इस कॉरिडोर की जनरल एडजेस्टमेंट डिजाइन (जीएडी) को फाइनल कर दिया है। साथ ही करीब 600 करोड़ रुपए का प्रस्ताव मंजूरी को रेलवे बोर्ड भेजा है।
दरअसल रेलवे बोर्ड ने पिछले साल जून में ही नई दिल्ली से हावड़ा रुट की क्षमता 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करने के लिए एक्शन प्लान 100 बनाया था। बाद में इस रूट पर पड़ रहे कानपुर को लखनऊ से जोड़ने का भी आदेश दिया गया। आज भारतीय रेलवे के पास 160 किमी प्रतिघंटा की गति से दौड़ने वाली एलएचबी क्लास बोगियां और इंजन तो हैं, लेकिन ट्रैक की स्थिति इतनी अधिक स्पीड के मुफीद नही है। लखनऊ कानपुर रेलखंड पर शताब्दी और तेजस जैसी ट्रेन दौड़ रही हैं, लेकिन यह ट्रैक 110 किमी प्रतिघंटा के लिए ही फिट है। अब इसकी 52 किलो (एक मीटर पटरी का वजन) की रेल को हटाकर 60 किलो और 270 किलो वजनी स्लीपर की जगह 340 किग्रा वाले स्लीपर लगाने का काम शुरू हो गया है।
अजगैन स्टेशन को केंद्र बिंदु बनाया गया है। पहले चरण में अजगैन से कानपुर गंगा नदी पुल तक और दूसरे चरण में अजगैन से लखनऊ तक पटरी बदलने का काम होगा। रेलवे पर्याप्त मात्रा में बैलास्ट (गिट्टी), स्लीपर और रेल अजगैन स्टेशन पर इकट्ठा कर रहा है। वहीं ओएचई की क्षमता बढ़ाने के साथ सिग्नलिंग का काम भी चल रहा है। मेट्रो की तरह सिग्नल लोको पायलट को इंजन में स्क्रीन पर ही दिखे। इसके लिए आरडीएसओ भी इस प्रोजेक्ट पर काम करेगा। पूरे सेक्शन पर कोई क्रासिंग नही होगी। इसके लिए सात ओवर ब्रिज और 27 अंडरपास का निर्माण होगा।रास्ते मे पड़ने वाले सभी स्टेशनों की यार्ड रिमॉडलिंग भी होगी।
डीआरएम लखनऊ संजय त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ कानपुर सेमी हाई स्पीड रेलखंड फेंसिंग से दोनों ओर कवर किया जाएगा। जिससे तेज रफ्तार ट्रेन से कोई जानवर न टकराये। इस ट्रैक पर कोई क्रॉसिंग नहीं होगी। एक साल में अप व डाउन लाइन को अपग्रेड करने का लक्ष्य रखा गया है।