Tobacco Free Schools Campaign: माध्यमिक विद्यालयों में 60 दिन चलेगा तंबाकू मुक्त अभियान
Tobacco Free Schools Campaign in UP: विद्यालयों के चारों ओर 100 गज की परिधि में तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाएगा। सड़क किनारे लाल रेखा खींचकर या बोर्ड लगाकर यह सूचना दी जाएगी कि यहां तंबाकू उत्पादों की बिक्री या सेवन प्रतिबंधित है। साथ ही, विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाने के लिए पोस्टर, भाषण, निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों में 60 दिन तक तंबाकू मुक्त युवा अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य सभी शिक्षण संस्थानों को पूरी तरह तंबाकू मुक्त बनाना है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शुक्रवार को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं
ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वेक्षण 2019 के अनुसार, 13 से 15 वर्ष की आयु के करीब 8.4 प्रतिशत बच्चे अभी भी तंबाकू का सेवन करते हैं। सर्वे में यह भी सामने आया कि सिगरेट, बीड़ी या धुआं रहित तंबाकू का सेवन बच्चे 10 से 11 वर्ष की उम्र में ही शुरू कर देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि लड़कियों में तंबाकू सेवन की शुरुआत लड़कों से पहले होती है।
इन्हीं चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नौ अक्टूबर से तंबाकू मुक्त युवा अभियान-3 की शुरुआत की है। इसे विभिन्न विभागों के सहयोग से आगे बढ़ाया जा रहा है। चिकित्सा व स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से इस संदर्भ में आठ अक्टूबर को सभी शिक्षण संस्थानों में विशेष अभियान चलाने की अपेक्षा की गई थी।
अब माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे सभी माध्यमिक विद्यालयों में छह दिसंबर तक तंबाकू मुक्त वातावरण तैयार करें। इसके लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन के सहयोग से प्रवर्तन अभियान भी चलाया जाएगा। विद्यालयों के चारों ओर 100 गज की परिधि में तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाएगा।
सड़क किनारे लाल रेखा खींचकर या बोर्ड लगाकर यह सूचना दी जाएगी कि यहां तंबाकू उत्पादों की बिक्री या सेवन प्रतिबंधित है। साथ ही, विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाने के लिए पोस्टर, भाषण, निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
सभी गतिविधियों की फोटो और रिपोर्ट आनलाइन लिंक के माध्यम से अपलोड करनी होगी। यह अभियान न केवल छात्रों को तंबाकू से दूर रखने में मदद करेगा, बल्कि स्वस्थ और सुरक्षित विद्यालय वातावरण बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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