लखनऊ के इन डिग्री कालेजों ने दाखिले के लिए दिए कई मौके, फिर भी खाली रह गईं सीटें
College Admission लखनऊ में विद्यांत डीएवी और केकेवी कालेजों ने दाखिले के लिए कई अवसर दिए। इसके बावजूद इन डिग्री कालेजों में सीटें खाली रह गईं। हालांकि प्रवेश लगभग बंद हो चुके हैं। मुमताज पीजी कालेज में भी सीटें खाली हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कई डिग्री कालेजों में इस बार दाखिले की स्थिति अच्छी नहीं रही। पहले मेरिट और फिर सीधे प्रवेश तक का मौका दिए जाने के बाद भी सीटों के सापेक्ष अभ्यर्थी प्रवेश लेने नहीं आए। नतीजा, स्नातक और परास्नातक कोर्सों में सीटें खाली रह गईं। इनमें रेगुलर और सेल्फ फाइनेंस दोनों ही कोर्स शामिल हैं। कालेजों में प्रवेश लगभग बंद हो चुके हैं। विभिन्न कालेजों में प्रवेश पर आधारित एक रिपोर्ट।
विद्यांत हिन्दू पीजी कालेज : यहां बीकाम सेल्फ फाइनेंस कोर्स में 120 सीटों के सापेक्ष 100 खाली रह गईं। सबसे खराब स्थिति बीए के रेगुलर कोर्स की रही। इसमें 670 सीटों में 50 फीसद सीटों पर ही अब तक प्रवेश हो सके। 300 से ज्यादा सीटें खाली हैं। एमए इतिहास और एमकाम कोर्स में भी 60-60 सीटों में से आधी सीटें खाली रह गईं। प्राचार्या प्रो. धर्म कौर का कहना है कि कोविड के बाद हुई आर्थिक दिक्कतों की वजह से इस बार बहुत से परिवार के छात्र प्रवेश लेने नहीं आए। इसी वजह से कमी आई है।
डीएवी डिग्री कालेज : सीधे प्रवेश का मौका दिए जाने के बाद भी छात्र-छात्रा प्रवेश लेने नहीं आए। नतीजा, बीएससी गणित में 350 के सापेक्ष सिर्फ 100 प्रवेश ही हुए। 250 सीटें खाली रह गईं। बीए में 560 में 110, एमए समाजशास्त्र और एमए हिन्दी में 60-60 सीटों में से 45-45 खाली हैं। बीकाम में भी 60 में सिर्फ 25 हुए।
केकेवी : संस्थान पहली बार पीजी कोर्सों में प्रवेश के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय की केंद्रीय प्रवेश प्रक्रिया में शामिल हुआ। लेकिन वहां से भी निराशा मिली। देर से मिली अभ्यर्थियों की सूची की वजह से बहुत से लोग आए ही नहीं। प्राचार्य प्रो. रमेश धर द्विवेदी ने बताया कि एमएससी फिजिक्स में 30 में 12, एमए पॉलिटिकल साइंस 60 में 45, एमए अर्थशास्त्र, संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी, समाजशास्त्र में 60-60 सीटों के सापेक्ष 20 से कम प्रवेश हुए। बीएससी गणित में 350 सीटों में से 100 से ज्यादा और बायो में लगभग 100 सीटें खाली हैं।
मुमताज पीजी कालेज : यहां बीए में 650 में से 140 और बीकॉम में 60 में से 25 सीटें खाली रह गईं। इसी तरह एमए समाज शास्त्र और एमए हिन्दी में 60-60 सीटों में से 45-45 सीटें खाली हैं।
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