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    देखें 1991 का डाक टिकट, कांग्रेस सरकार के समय में आंबेडकर के नाम से जुड़ा रामजी

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Fri, 30 Mar 2018 05:55 PM (IST)

    वर्ष 1991 में जब राम मंदिर आंदोलन चरम पर था तब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार ने आंबेडकर के नाम के साथ रामजी शब्द जोड़ दिया था।

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    देखें 1991 का डाक टिकट, कांग्रेस सरकार के समय में आंबेडकर के नाम से जुड़ा रामजी

    लखनऊ (जेएनएन)। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम के मध्य रामजी जोड़े जाने के उप्र सरकार के फरमान से विपक्ष में भले खलबली मच गई है, लेकिन सच यह है कि वर्ष 1991 में जब राम मंदिर आंदोलन चरम पर था तब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार ने आंबेडकर के नाम के साथ रामजी शब्द जोड़ दिया था। उस समय भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट में उनका पूरा नाम डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा गया। गुरुवार को योगी सरकार ने वह डाक टिकट भी मीडिया के बीच प्रसारित किया।

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    यद्यपि राज्यपाल राम नाईक की पहल पर आंबेडकर के मूल नाम को यथावत अंकित किये जाने की पहल की गई है, लेकिन इसके पीछे सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले से ही आंबेडकर के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित किया। तब भी बसपा ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी, लेकिन उनके मूल नाम को सरकारी अभिलेखों में दर्ज किये जाने पर अब जोर दिया गया है। आंबेडकर के प्रति भाजपा के रुख से बसपा और सपा में प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। वैसे तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से ही दलितों के बीच राम शब्द पर एक खांई खींचने की पहल हुई थी।

    उत्तर प्रदेश मूल के उदितराज इस समय दिल्ली से भाजपा के सांसद हैं, लेकिन भाजपा में शामिल होने से पहले वह इंडियन जस्टिस पार्टी चलाते थे। राजनीति में सक्रिय हुए उदितराज ने न केवल आइआरएस की नौकरी छोड़ दी थी बल्कि, उन्होंने अपना मूल नाम रामराज बदलकर उदितराज रख लिया था। बाबा साहब के नाम के मध्य रामजी लिखे जाने पर बसपा सुप्रीमो मायावती भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुकी हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी कहते हैं कि आंबेडकर पूरे देश के सम्मान और आस्था के प्रतीक हैं लेकिन, बसपा ने उन्हीं लोगों से हाथ मिलाया है जो आंबेडकर को अपमानजनक शब्दों से नवाजते रहे हैं।

    दरअसल, सपा-बसपा गठबंधन के बीच भाजपा सरकार ने आंबेडकर के मूल नाम को सरकारी अभिलेखों में लिखे जाने के लिए अफसरों की जवाबदेही तय कर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। बुधवार को योगी सरकार ने इस तरह का शासनादेश जारी किया। इसके पहले सात मार्च को एक और शासनादेश जारी हुआ जिसमें सभी कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों परिषदों के कार्यालयों व शैक्षणिक संस्थाओं में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के चित्र लगाने का आदेश था।

    आंबेडकर निर्वाण दिवस पर योगी ने की थी घोषणा

    यद्यपि सपा-बसपा गठबंधन के बाद आंबेडकर को लेकर भाजपा की सक्रियता बढ़ी है लेकिन, यह सही है कि केंद्र सरकार काफी समय से आंबेडकर के प्रति अपना प्रेम दिखा रही है। उनसे जुड़े स्थलों को पंचतीर्थ केंद्र ने ही घोषित किया था। छह दिसंबर को राजधानी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सरकारी दफ्तरों में आंबेडकर के चित्र लगाये जाने की घोषणा की थी।