UP News: टीईटी मामले में शिक्षकों का पक्ष सही से रखने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है पुनर्विचार याचिका
TET Compulsory Matter in Supreme Court विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के विधि विशेषज्ञ अरुण कुमार और विधि सलाहकार आमोद श्रीवास्तव ने कहा कि इस फैसले का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए स्थिति स्पष्ट करे।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: कक्षा एक से आठवीं तक शिक्षक बने रहने के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है।
अब शिक्षक संगठनों की ओर से शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में यह मांग की है कि गई है कि सरकार इस मुद्दे पर सही से पक्ष रखे, क्योंकि आदेश के बाद से कई तरह की भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से प्रदेश के करीब 1.5 लाख और देशभर के लगभग दस लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। ये वे शिक्षक हैं जिन्हें शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) के तहत 23 अगस्त 2010 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीईटी) की अधिसूचना के आधार पर नियुक्त किया गया था। उस अधिसूचना में स्पष्ट किया गया था कि पहले से नियुक्त शिक्षकों को टीईटी करने की आवश्यकता नहीं है।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि इंटरनेट मीडिया में यह गलत प्रचारित किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने 2017 में धारा 23(2) में संशोधन कर सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। दरअसल, यह संशोधन केवल अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण पूरा करने के लिए समय-सीमा बढ़ाने के लिए किया गया था, न कि पहले से नियुक्त शिक्षकों पर लागू करने के लिए। संयुक्त मोर्चा महासचिव दिलीप चौहान ने बताया कि कोर्ट का आदेश खेल के बीच में नियम बदलने जैसा है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने भी इसे त्रुटिपूर्ण करार दिया। संगठन के विधि विशेषज्ञ अरुण कुमार और विधि सलाहकार आमोद श्रीवास्तव ने कहा कि इस फैसले का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए स्थिति स्पष्ट करे।
प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान और सचिव राकेश तिवारी ने राज्य सरकार के रिव्यू पिटीशन के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार भी हस्तक्षेप करे तो देशभर के शिक्षकों को सामूहिक राहत मिल सकेगी।
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