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    Terror Funding in UP: पीएफआइ यूपी का अध्यक्ष वसीम और उसका साथी जकात और चंदे से चलाते थे आतंक की पाठशाला

    By Saurabh ShuklaEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sun, 25 Sep 2022 03:52 PM (IST)

    Terror Funding In UP पीएफआइ यूपी अध्यक्ष वसीम अहमद के साथ ही सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ) का नेता मोहम्मद अहमद बेग जकात और चंदे से लम्बे समय से आतंक की पाठशाला चला रहे थे। एनआइए की रिमांड पर वसीम अहमद से बड़े राज मिल सकते हैं।

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    Terror Funding In UP: पीएफआइ के साथ एसडीपीआइ भी एक्टिव

    लखनऊ [सौरभ शुक्ला]। Terror Funding In UP: केन्द्र सरकार की एनआइए (NIA) और उत्तर प्रदेश एटीएस (UP ATS) की बीते दिनों प्रदेश में पीएफआइ के तीन दर्जन से ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद इनकी जड़े भी सामने आने लगी हैं। प्रदेश में लगातार माहौल बिगाड़ने के प्रयास में लगे पीएफआइ (PFI) के सदस्यों को विदेशों से तो धन मिलता ही थी, यह लोग जकात और चंदे के पैसे से प्रदेश में आतंक की बड़ी पाठशाला तैयार करने में लगे थे।

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    लखनऊ से पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद उर्फ बबलू को गिरफ्तार किया गया है। दर्जी का काम करने वाला वसीम अहमद लखनऊ की बड़ी कालोनी इंदिरा नगर के एक ब्लाक में तीन मंजिला मकान बनाकर रहता है। एनआइए की रिमांड पर वसीम अहमद से बड़े राज मिल सकते हैं।

    पीएफआइ के साथ एसडीपीआइ (SDPI) भी एक्टिव

    वसीम अहमद के साथ ही सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ) का नेता मोहम्मद अहमद बेग जकात और चंदे से लम्बे समय से आतंक की पाठशाला चला रहे थे। एनआइए और सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में राजफाश हुआ है। जिसके बाद ईडी की टीम इसकी जांच में लग गई है।

    रिहैब इंडिया फाउंडेशन से मिलता था रुपया

    यह रुपया इन संस्थाओं को रिहैब इंडिया फाउंडेशन से मिलता था। रिहैब इंडिया फाउंडेशन ने 20-25 मुस्लिम देशों में अपना नेटवर्क बना रखा है। मुस्लिम देशों से फाउंडेशन में रुपया आता है। रिहैब इंडिया फाउंडेशन का मुख्यालय देश में दिल्ली में है। इसके अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन के लोग मदरसों में रुपया लगाते हैं। मदरसे भी पीएफआइ और इससे जुड़े संगठनों को रुपया देते हैं। इन रुपयों को पीएफआइ और एसडीपीआइ तथा इससे जुड़े अन्य संगठन लोगों जरूरतमंद लोगों को फंसाकर उनका मतांतरण कराते हैं। दूसरे धर्मों के लिए लोगों में नफरत पैदा करते हैं। जब युवाओं पर इन्हें विश्वास हो जाता है तो वह उन्हें आतंकी संगठनों से जोड़ते हैं।

    रिहैब इंडिया पर भी होगी कार्रवाई

    खुफिया एजेंसियों को रिहैब इंडिया फाउंडेशन से इनको मिले धन के साक्ष्य मिले हैं। अब इन पर कार्रवाई की तैयारी है। विदेशों से फंड यह इस तरीके से मंगा रहे थे कि केन्द्र सरकार को भी इसकी जानकारी नहीं थी।

    जकात का उपयोग समाज को बनाने की जगह बिगाड़ने में

    जकात तथा चंदा की धनराशि यह लोग अल्पसंख्यकों को शिक्षा तथा रोजगार देने के नाम पर लेते थे। इसके बाद लोगों को रोजगार देेने के लालच में देश विरोध काम करने के लगा देते थे। इनका नेटवर्क सूबे की राजधानी लखनऊ के साथ ही पास के जिलों में काफी सक्रिय हो गया है।

    जकात और चंदे की रकम का दुरुपयोग

    वसीम और मोहम्मद अहमद बेग को रेहाब इंडिया फाउंडेशन से जकात के रूप में और कई देशों के मदरसों से चंदे के रूप में रुपये मिलते थे। इन रुपयों के माध्यम से जरूरतमंदों को बरगला कर यह उन्हें रुपयों का लालच देते और फिर जबरन धर्म परिवर्तन चलाते थे।

    संगठनों का मुख्य काम धर्म परिवर्तन कराकर जनसंख्या बढ़ाना

    खुफिया एजेंसियों की पूछताछ में पता चला है कि संगठन से जुड़े लोग कट्टरता का पाठ युवाओं को पढ़ाकर अपने नापाक मंसूबों को सफल बनाते हैं। इसके लिए मुस्लिम युवाओं और मौलानाओं की मदद से गैर मुस्लिम संगठनों की महिलाओं और लोगों को जोड़कर उनका धर्म परिवर्तन कराकर अपनी जनसंख्या बढ़ाते हैं।

    यू-ट्यूब पर डाला था सिर तन से जुदा का वीडियो

    मो. अहमद बेग ने यू-ट्यूब पर एक सिर तन से जुदा करने का वीडियो दहशत फैलाने के लिए डाला था। इसमें एक युवक घुटनों बल बैठा है। दूसरा पीछे खड़ा है। पीछे खड़ा व्यक्ति ब्रश से उसके गले को रेत रहा है। इसके बाद हंसते हुए पीछे हट जाता है। इसके अलावा कई अन्य आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट किए गए।

    क्या होता है जकात

    माना जाता है कि मुसलमान अपनी कमाई का 2.5 फीसद हिस्सा जकात में दान करते हैं। कई लोग गरीबों को पैसे देते हैं और कई लोग ऐसी संस्थाओं को धन देते हैं जो कि समाज को बनाने वाले काम में लगी है। इस पैसे का एक छोटा हिस्सा उन मुस्लिम युवाओं के परिवारों को दिया जाता है जो या तो जेल में हैं या जो बेगुनाह साबित होकर समाज से दोबारा जुडऩे की कोशिश कर रहे हैं। वसीम और मोहम्मद अहमद बेग जकात के पैसे के साथ ही लोगों से समाज को सुधारने के नाम पर चंदा लेकर आतंक की नर्सरी तैयार करने में लगे थे।