बीएलओ की ड्यूटी से शिक्षको को मुक्त करने की मांग, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
उत्तर प्रदेश में शिक्षक संगठन परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे बच्चों की परीक्षा तैयारी प्रभावित हो रही है और पठन-पाठन बाधित हो रहा है। संगठनों ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है और बीएलओ के साथ हुई घटनाओं पर आर्थिक सहायता की मांग की है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में 10 दिसंबर से परिषदीय विद्यालयों में होने वाली अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की तैयारी बीच शिक्षकों की बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) ड्यूटी को लेकर शिक्षक संगठनों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि बीएलओ ड्यूटी से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है और बच्चों की परीक्षा तैयारी पर बुरा असर पड़ रहा है। इसको लेकर संगठनों ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी और महामंत्री उमाशंकर सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि कई जिलों में शिक्षकों को बीएलओ के रूप में तैनात कर दिया गया है, जबकि शिक्षा अधिकार अधिनियम में स्पष्ट है कि शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य नहीं लिए जाएंगे।
संघ ने कहा कि ड्यूटी लगने से परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई बाधित है और परीक्षाओं से पहले बच्चों की तैयारी प्रभावित होना चिंता की बात है। संघ ने शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से तुरंत मुक्त करने की मांग की है।
उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने भी बीएलओ से जुड़ी समस्याओं पर सरकार और चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि हाल में जिन बीएलओ के साथ घटनाएं हुई हैं, उनके परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाए और चुनाव आयोग उनके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करे। किसी भी बीएलओ पर लक्ष्य पूरा करने का दबाव न बनाया जाए।

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