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    TB Free Campaign: टीबी से मुक्ति के लिए लोगों ने बढ़ाया हाथ, 2.40 लाख रोगियों की मदद को लिया गोद

    UP News यूपी में टीबी मरीजों की मदद के लिए स्वयं सेवी संस्थाएं शैक्षिक संस्थाएं जनप्रतिनिधि और आम लोग बड़ी संख्या आगे आ रहे हैं। मरीजों को यह गुड़ चना मूंगफली फल और प्रोटीन पाउडर इत्यादि हर महीने यह लोग उपलब्ध करा रहे हैं।

    By Umesh TiwariEdited By: Updated: Wed, 05 Oct 2022 02:16 PM (IST)
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    TB Free Campaign: टीबी के उपचार व पोषक सामग्री उपलब्ध कराने में बन रहे मददगार।

    UP News: लखनऊ [आशीष त्रिवेदी]। तपेदिक (टीबी) से मुक्ति दिलाने के लिए लोग तेजी से मरीजों का हाथ थाम रहे हैं। वो रोगियों को पोषक सामग्री उपलब्ध कराने के साथ उपचार में उनकी मदद कर रहे हैं। यूपी में अभी तक 2.40 लाख मरीजों को गोद लिया जा चुका है और निक्षय पोर्टल पर 2.05 लाख मरीजों का डाटा भी दर्ज कर दिया गया है। वर्ष 2019 में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा शुरू की गई यह मुहिम अब रंग ला रही है। वर्ष 2025 में टीबी मुक्त भारत बनाने का केंद्र सरकार ने संकल्प लिया है।

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    एक मरीज पर प्रतिमाह 800 रुपये तक खर्च

    यूपी में टीबी मरीजों को गोद लेने वालों में स्वयं सेवी संस्थाएं, शैक्षिक संस्थाएं, जनप्रतिनिधि और आम लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं। मरीजों को यह गुड़, चना, मूंगफली, फल और प्रोटीन पाउडर इत्यादि हर महीने यह लोग उपलब्ध करा रहे हैं। टीबी मरीजों को उच्च प्रोटीन युक्त भोजन की जरूरत होती है। मरीजों को गोद लेने वाले लोग 500 रुपये से लेकर 800 रुपये तक प्रति महीने खर्च कर रहे हैं।

    टीबी को हराने के लिए मजबूत मोर्चाबंदी

    टीबी के साथ-साथ अगर मरीज को कोई अन्य रोग है तो उसकी जांच व इलाज का खर्चा भी उठा रहे हैं। सामाजिक सहभागिता के माध्यम से टीबी रोग को हराने के लिए मजबूत मोर्चाबंदी की जा रही है। राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. शैलेन्द्र भटनागर के मुताबिक, टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए बीते शुक्रवार को मेगा अभियान चलाया गया और उसमें एक दिन में रिकार्ड 28 हजार टीबी रोगी गोद लिए गए। वहीं, केंद्र सरकार निक्षय पोषण योजना के तहत रोगियों को 500 रुपये हर महीने देती है और मुफ्त इलाज की सुविधा भी है।

    यूपी में हर साल टीबी के पांच लाख रोगी

    उत्तर प्रदेश में हर साल करीब पांच लाख लोग टीबी से ग्रस्त होते हैं। वर्ष 2021 में सरकारी अस्पतालों के लिए 3.75 लाख मरीज चिह्नित करने का लक्ष्य रखा गया था और उन्होंने 3.13 लाख रोगी चिह्नित किए। वहीं, निजी अस्पतालों 2.25 लाख मरीजों के मुकाबले 1.39 लाख रोगी ही चिह्नित किए। मरीजों के इलाज के लिए 1,168 टीबी यूनिट हैं। 2,061 बलगम परीक्षण केंद्र हैं। 59 ड्रग रेजिस्टेंट टीबी वार्ड हैं। अगर किसी को दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी व बुखार आ रहा हो, वजन घट रहा हो, बलगम में खून आ रहा हो तो टीबी रोग हो सकता है।