Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शक के आधार पर नहीं खानी होगी दवा, फेफड़े के पानी से होगी टीबी की पुष्टि

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 12 Feb 2019 08:46 AM (IST)

    फेफड़े के एक्स-रे में दिखता टीबी लेकिन होती है दूसरी परेशानी। संजय गांधी पीजीआई में ब्रॉन्कोस्कोपी पर आयोजित अधिवेशन में प्रो. जिया हाशिम ने दी जानकारी।

    शक के आधार पर नहीं खानी होगी दवा, फेफड़े के पानी से होगी टीबी की पुष्टि

    लखनऊ, जेएनएन। अब टीबी की दवा केवल उन्हीं को खानी पड़ेगी जिनको क्षय रोग है। ब्रॉन्कोस्कोपी के जरिए फेफड़े से लवाज (तरल द्रव) लेकर उसमें टीबी की पुष्टि करना संभव हो गया है। कई बार टीबी के मरीज को बलगम नहीं आता है। ऐसे में टीबी की पुष्टि नहीं हो पाती है। तब जीन एक्सपर्ट लवाज की जांच कराते हैं। इस तकनीक से पुष्टि करने पर बिना वजह दवा खाने से मरीज बच जाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संजय गांधी पीजीआई में ब्रॉन्कोस्कोपी पर आयोजित अधिवेशन में प्रो. जिया हाशिम ने बताया कि कई बार  एक्स-रे में टीबी जैसा फेफड़ा दिखाई पड़ता है, पर मरीज को कैंसर, आईएलडी, एलर्जी ब्रॉन्को पल्मोनरी स्परजिलोसिस, सारकायड की परेशानी होती है। इसी आधार पर टीबी की दवा चल जाती है। ब्रॉन्कोस्कोपी से टीबी के आलावा दूसरी बीमारी की पुष्टि हो जाती है। प्रो. आलोक नाथ ने बताया कि जहां पर इस जांच की सुविधा नहीं है वहां पर 50 प्रतिशत तक लोगों को शक के आधार पर टीबी की दवा दी जाती है।

    टीबी के इलाज से पहले एमडीआर की पुष्टि जरूरी

    प्रो.आलोक नाथ ने कहा कि टीबी की दवा शुरू करने से पहले एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) की पुष्टि कर लेनी चाहिए। देखा गया है कि फस्र्ट लाइन का इलाज शुरू कर दिया जाता है और उससे फायदा नहीं मिलता है तो बाद में दूसरी दवाएं जोड़ी जाती हैं। इसलिए पहले से एमडीआर की पुष्टि कर ट्रीटमेंट प्लान करने की जरूरत है।