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    Corona Vaccine: कोविशील्ड वैक्सीन से दुष्प्रभाव की बात सिर्फ दुष्प्रचार, लखनऊ के न्यूरोलाजी विभाग ने वैक्सीन के दुष्प्रभाव से किया इनकार

    केजीएमयू के न्यूरोलाजी विभाग ने देशभर में कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर प्रकाशित शोध-पत्रों का अध्ययन किया। इसी के आधार पर शोध पत्र तैयार किया। यह शोध कार्य न्यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ आरके गर्ग के निर्देशन में किया गया। डॉ गर्ग के मुताबिक जून 2022 तक कोरोना वैक्सीन की 1973408500 डोज लगाई गई थी। जिनमें अधिकांश लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लगाई गई थी।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 04 May 2024 06:00 AM (IST)
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    कोविशील्ड वैक्सीन से दुष्प्रभाव की बात सिर्फ दुष्प्रचार

     जागरण संवाददाता, लखनऊ। कोरोना संक्रमण से बचाव की वैक्सीन कोविशील्ड के दुष्प्रभाव की सूचना को लेकर लोग चिंतित हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे सिर्फ दुष्प्रचार माना है। चिकित्सकों का कहना है कि ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट में ब्लॉकेज समेत न्यूरो से जुड़ी समस्याओं का कारण कोविशील्ड नहीं है। केजीएमयू, लखनऊ के न्यूरोलाजी विभाग के शोध ने वैक्सीन के दुष्प्रभाव से इनकार किया है। विभाग के शोध पत्र को न्यूरोलाजी इंडिया में जगह मिली है।

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    केजीएमयू के न्यूरोलाजी विभाग ने देशभर में कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर प्रकाशित शोध-पत्रों का अध्ययन किया। इसी के आधार पर शोध पत्र तैयार किया। यह शोध कार्य न्यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ आरके गर्ग के निर्देशन में किया गया। डॉ गर्ग के मुताबिक, जून 2022 तक कोरोना वैक्सीन की 1,97,34,08,500 डोज लगाई गई थी। जिनमें अधिकांश लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लगाई गई थी।

    दिमाग में खून का थक्का जमने की बात सामने आई

    डॉ आरके गर्ग ने बताया कि कुल 136 व्यक्तियों में ही वैक्सीन का दुष्प्रभाव देखने को मिला था। यह शुरुआती दौर में था। इनमें दस लोगों के दिमाग में खून का थक्का जमने की बात सामने आई थी। इसके अलावा हरपीज के 31 मामले पाए गए थे। मस्तिष्क व स्पाइन कार्ड में सूजन की भी दिक्कतें हुई थीं। सबसे अधिक मरीज फंग्शनल न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर के मिले थे। उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, बंगाल और केरल से सबसे अधिक संख्या थी। 136 लोगों को वैक्सीनेशन के महज दो-तीन सप्ताह में दुष्प्रभाव हुए। दो-तीन साल बाद ऐसा संभव ही नहीं है। यह सिर्फ अफवाह है।

    कोविड है हार्ट अटैक की वजह

    डॉ आरके गर्ग कहते हैं, कोरोनाकाल के दौरान दिल में भी ब्लाकेज के मामले आ रहे थे। मांसपेशियों में सूजन की वजह से दिल की धड़कन प्रभावित हो रही थी। दरअसल, लाकडाउन की वजह से लोगों की जीवनशैली खराब हो गई थी। खानपान असंतुलित होने से मोटापा और डायबिटीज का स्तर बढ़ गया था। ऐसी स्थिति में दिल की बीमारी की संभावना बढ़ती है।

    हार्ट अटैक के शिकार हुए लोगों में प्री-डायबिटीज, प्री-हायपरटेंशन और मोटापा जैसे कारण भी जिम्मेदार हैं। कई मामलों में बिना पर्याप्त वार्मअप के हार्ड एक्सरसाइज भी दिल के दौरे का कारण बना। डा. गर्ग का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए रोजाना पर्याप्त शारीरिक व्यायाम बेहद जरूरी है। अगर बीपी और शुगर के मरीज हैं तो नियमित अंतराल पर डाक्टर से परामर्श लें और सुझाए गए मेडिकल टेस्ट कराएं।