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Taj Mahal Agra Controversy : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की ताजमहल के 22 कमरे खुलवाने की मांग वाली याचिका, याचिकाकर्ता को लगाई फटकार

Taj Mahal Agra Controversy खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह को भी बिना कानूनी प्रावधानों के भी याचिका दायर करने के लिए खिंचाई की। बेंच ने उससे यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं बता सकता कि उसके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 12 May 2022 01:15 PM (IST)Updated: Thu, 12 May 2022 05:40 PM (IST)
Taj Mahal Agra Controversy : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की ताजमहल के 22 कमरे खुलवाने की मांग वाली याचिका, याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आगरा के ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में कड़ी फटकार भी लगाई है। ताजमहल के 22 कमरों को खुलवाने के साथ ही सर्वे कराने की याचिका खारिज होने पर याचिका दायर करने वाले भाजपा नेता डा रजनीश सिंह ने कहा कि हम सर्वे के मामले को अब सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे।

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न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है।खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह को भी बिना कानूनी प्रावधानों के भी याचिका दायर करने के लिए खिंचाई की। बेंच ने उससे यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं बता सकता कि उसके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है। दलीलों के बाद जब पीठ याचिका खारिज करने जा रही थी तो याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से याचिका वापस लेने और बेहतर कानूनी शोध के साथ एक और नई याचिका दायर करने की अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताजमहल के संबंध में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने याचिका को पोषणीय न मानते हुए खारिज किया है।

न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश डा रजनीश कुमार सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। न्यायालय ने कहा कि याचिका मे जो मांग की गई है, उन्हें न्यायिक कार्यवाही में तय नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने आगे कहा कि ताजमहल के संबंध में रिसर्च एक एकेडमिक काम है, न्यायिक कार्यवाही में इसका आदेश नहीं दिया जा सकता। न्यायालय ने याचिका में उठाए गए विषयों व प्रार्थना को न्यायालय ने पोषणीय नहीं माना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पहले तो इस याचिका पर सुनवाई से ही इन्कार कर दिया था, लेकिन याचिकाकर्ता के आग्रह पर दो बजे से सुनवाई होगी। लखनऊ खंडपीठ ने आज ही इस मामल के पटाक्षेप का संकेत दे दिया था। कोर्ट ने साफ कहा कि जनहित याचिका की प्रणाली का दुरुपयोग ना करें। आप अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए किसी विश्वविद्यालय में अपना नामांकन कराएं, यदि कोई विश्वविद्यालय आपको ऐसे विषय पर शोध करने से मना करता है तो हमारे पास आएं।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकारा : न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय ने कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील को जमकर फटकारा। उन्होंने कहा कि पीआइएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। जाकर रिचर्स करो कि ताजमहल किसने बनवाया। किसी यूनिवर्सिटी जाओ, वहां पर ताजमहल पर पीएचडी करो। उसके बाद कोर्ट आना। अगर कोई ताजमहल पर रिसर्च करने से रोके तक तब हमारे पास आना। उन्होंने कहा कि कल को आप यहां पर आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चेंबर में जाना है। इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।

जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से पूछा क्या देश का इतिहास आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा। ताजमहल कब बना, इसको किसने किसने बनवाया। जाकर पहले पढ़ो। जस्टिस उपाध्याय ने इस दौरान कोर्ट रूम में सवाल पर सवाल दागे। अब लंच बाद हाईकोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई होगी।


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