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    Swachh Survekshan 2025: कचरा प्रबंधन में इस नंबर पर आया उत्तर प्रदेश, विजिबल क्लीनलीनेस में सातवां स्थान

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 09:06 AM (IST)

    स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में उत्तर प्रदेश ने कचरा प्रबंधन में सुधार किया है। राज्य ने 85.51% कचरा निस्तारण कर देश में आठवां स्थान प्राप्त किया है। विजिबल क्लीनलीनेस में राज्य सातवें स्थान पर है जबकि डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में 13वें स्थान पर है। राज्य को सबसे ज्यादा अंक स्पष्ट स्वच्छता में मिले हैं और पब्लिक फीडबैक में भी प्रदेश अव्वल रहा है।

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    कचरा प्रबंधन में देश में आठवें नंबर पर रहा उप्र

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में राज्य में सफाई और कचरा निस्तारण के लिए किया जा प्रयासों में प्रगति नजर आ रही है। कचरा निस्तारण में उत्तर प्रदेश ने प्रतिदिन 85.51 प्रतिशत कूड़े का निस्तारण कर देश में आठवां स्थान हासिल किया है। 

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    इस श्रेणी में चंडीगढ़ पहले स्थान पर है, जहां 99.95 प्रतिशत कचरे प्रतिदिन का निस्तारण किया जा रहा है। दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ 97.96 और तीसरे नंबर पर रहा मध्य प्रदेश 95.39 कृूड़े का प्रतिदिन निस्तारण कर रहा है। 

    वहीं उप्र ने स्पष्ट स्वच्छता (विजिबल क्लीनलीनेस) में सातवां स्थान हासिल किया है। जबकि डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में राज्य 13वें स्थान पर रहा है।

    स्वच्छ सर्वेक्षण में राज्य और उसके शहरों की स्वच्छता, कचरा प्रबंधन आदि को कई पैमानों पर परखा गया है। इसमें कचरा निस्तारण में चौथे नंबर पर तेलंगाना, पांचवें नंबर पर गुजरात, छठवें नंबर पर अंडमान-निकोबार और सातवें नंबर पर ओडिशा रहा है। 

    आठवें नंबर पर रहे उत्तर प्रदेश के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रतिदिन 19,822 टन प्रति दिन कूड़े में से 11,286 टन गीले कचरे और 7,666 सूखे कचरे की प्रोसेसिंग की गई। पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले यह बड़ा सुधार है, क्याेंकि तब केवल 48 प्रतिशत कचरे का ही निस्तारण हो पा रहा था। 

    वहीं, स्पष्ट स्वच्छता में भी चंडीगढ़ पहले स्थान पर रहा है। वहां 99 प्रतिशत स्पष्ट स्वच्छता मिली है। जबकि 78 प्रतिशत स्पष्ट स्वच्छता के साथ उत्तर प्रदेश आठवें नंबर पर है। इस श्रेणी में दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़, तीसरे नंबर पर दिल्ली को रखा गया है।

    वहीं, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में राज्य में बड़ा सुधार हुआ है। पिछले सर्वेक्षण में राज्य में 48 प्रतिशत कूड़े का डोर टू डोर कलेक्शन आंका गया था, जो इस बार 62 प्रतिशत रहा है। 

    इसके चलते राज्य को 13वां स्थान मिला है। इस श्रेणी में 99 प्रतिशत कूड़े का डोर टू डोर कलेक्शन कर दिल्ली पहले स्थान पर है। जबकि अंडमान-निकोबार दूसरे और चंंडीगढ़ तीसरे स्थान पर रहा है।

    उत्तर प्रदेश को स्पष्ट स्वच्छता में मिले सबसे ज्यादा अंक

    राज्य ने सर्वेक्षण में कुल 10 हजार में से 6,440 अंक प्राप्त किए हैैं, इनमें सबसे ज्यादा अंक 1,167 स्पष्ट स्वच्छता में मिले हैं। जबकि कचरे की छंटाई, कलेक्शन और परिवहन के लिए 596, सॉलिड वेस्ट प्रबंधन में 916, सफाई तक पहुंच के लिए 714, उपयोग किए गए जल के प्रबंधन के लिए 388, नाला सफाई को मशीनीकरण के लिए 415, स्वच्छता जागरूकता के लिए 1223, संस्थागत मानकों को मजबूत बनाने के लिए 340, सफाई कर्मियों के कल्याण के प्रयासों के लिए 318 व पब्लिक फीडबैंक तथा शिकायतों के निस्तारण के लिए 363 अंक मिले हैं।

    पब्लिक फीडबैक में अव्वल रहा प्रदेश

    पब्लिक फीडबैक के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा है। सर्वेक्षण के अनुसार सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता को लेकर 93 प्रतिशत लोगों ने संतुष्ट होने की प्रतिक्रिया दी, जबकि देश में इस श्रेणी में देश का औसत 92 प्रतिशत रहा। 

    वहीं, नियमित कूड़ा उठान से 98 प्रतिशत, आवासीय क्षेत्रों में सफाई से 94 प्रतिशत, घरों से कूड़ा फेंकने से पहले गीला व सूखा कचरा अलग करने में 93 प्रतिशत, अलग-अलग किए गए कचरे को उसी तरह कूड़ा गाड़ी में रखने को लेकर 94 प्रतिशत लोगों ने संतुष्टि जताई। जबकि इन श्रेणियों में देश का औसत फीडबैक क्रमश: 94, 92, 91 और 90 प्रतिशत रहा।

    सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण संकेतकों में भी शानदार प्रदर्शन

    सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण संकेंतकों में भी राज्य ने शानदार प्रदर्शन किया है। इन 10 संकेतकों में से नौ में राज्य का प्रतिशत देश के औसत प्रतिशत से बेहतर रहा है। 

    कूड़ा निकलने के मुकाबले निस्तारण में 85 प्रतिशत, डलाबघरों के सुधार में 82 प्रतिशत, आवासीय क्षेत्रों की सफाई में 97 प्रतिशत, बाजारों की सफाई में 96 प्रतिशत, जल प्रणालियों की सफाई में 68 प्रतिशत, सार्वजनिक शौचालयों की सफाई में 63 प्रतिशत, बीडब्ल्यूजीएस में कचरा निस्तारण में 44 प्रतिशत, शिक्षण संस्थानों की सफाई में 88 प्रतिशत सफलता हासिल की है। 

    इन सकेंतकों में देश का औसत क्रमश: 68, 58, 94, 94, 64, 44, 35 और 80 प्रतिशत रहा है। राज्य ने घरों में ही कूड़े को अलग-अलग करने में 26 प्रतिशत सफलता प्राप्त की, जबकि इसमें देश का औसत 27 प्रतिशत रहा।