विजिलेंस के सामने आने से बच रहे निलंबित आइएएस अफसर अभिषेक प्रकाश, लगातर कसा जा रहा शिकंजा
Action Against Corruption निलंबित आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के विरुद्ध आय-व्यय व संपत्तियों की जांच शुरू की थी। वहीं मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी (विशेष जांच दल) ने कंपनी के प्रतिनिधि से कमीशन मांगने के आरोप में गिरफ्तार निकांत जैन के जेल में बयान दर्ज किए हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे यूपी इंवेस्आट के सीईओ रहे आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) का सामने करने से बच रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अभिषेक प्रकाश को उनके दो पतों पर नोटिस भेजे गए थे, पर वह नहीं आए। बिहार में उनके पैतृक आवास के पते पर भी नोटिस भेजा गया है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस कई एजेंसियों के माध्यम से उनकी संपत्तियों का ब्योरा जुटा रहा है।
विजिलेंस ने बीते दिनों सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र लगाने वाली कंपनी एसएईएल सोलर पी-6 प्राइवेट लिमिटेड से कमीशन मांगे जाने के मामले में निलंबित आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के विरुद्ध आय-व्यय व संपत्तियों की जांच शुरू की थी। वहीं मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी (विशेष जांच दल) ने कंपनी के प्रतिनिधि से कमीशन मांगने के आरोप में गिरफ्तार निकांत जैन के जेल में बयान दर्ज किए हैं।
वह लखनऊ जेल में निरुद्ध है। उसके विरुद्ध मोबाइल काल डिटेल से साक्ष्य जुटाए गए हैं। एसआइटी जल्द मामले में कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल करने की तैयारी में है। शासन ने कमीशनखोरी का मामला सामने आने पर इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही विजिलेंस जांच कराए जाने निर्णय भी किया था।
अभिषेक प्रकाश एक निवेशक से पांच प्रतिशत रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किए जा चुके हैं। दो पीसीएस अधिकारी डिफेंस कॉरिडोर मामले में हाईकोर्ट से स्टे लेकर नौकरी कर रहे हैं। सीएम ने राजस्व परिषद की रिपोर्ट पर सभी 16 दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अभिषेक प्रकाश के खिलाफ डिफेंस कॉरिडोर मामले में भी कार्रवाई की जानी है।
एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता की शिकायत पर पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर पांच प्रतिशत कमीशन की मांग कर रहे निकान्त जैन को गिरफ्तार किया था। इस मामले में गोमतीनगर थाने में दर्ज कराई गई एफआइआर में आरोप है कि इन्वेस्ट यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने निकांत जैन का मोबाइल नंबर कंपनी के प्रतिनिधि को दिया था।
निकांत से बात करने पर उसने पांच प्रतिशत कमीशन देने पर ही निवेश की स्वीकृति प्रदान किए जाने की बात कही थी। बाद में इस मुकदमे की जांच बाराबंकी में तैनात एएसपी विकास चंद्र त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआइटी को सौंप दी गई थी।
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