कमीशनखोरी के आरोप में निलंबित आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को चार्जशीट देने की तैयारी, और बढ़ेगी मुश्किल
Suspended IAS Officer Abhishek Prakash आरोप है कि अभिषेक प्रकाश ने फर्जी पट्टे के आधार पर भू-माफिया से मिलीभगत करके करोड़ों रुपये का घोटाला किया था। राजस्व विभाग ने इस मामले में कई दौर की फील्ड जांच दस्तावेजी जांच और गवाहों के बयान के बाद रिपोर्ट तैयार की है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : सौर ऊर्जा उपकरण बनाने वाली कंपनी से कमीशनखोरी के आरोप में निलंबित आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें और बढ़ाने वाली हैं। लखनऊ के भटगांव जमीन अधिग्रहण घोटाले में उनको चार्जशीट देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस संदर्भ में राजस्व विभाग ने नियुक्ति विभाग को उनके खिलाफ चार्जशीट भेजी है। जल्द ही चार्जशीट देकर उनसे जवाब तलब किया जाएगा।
राजस्व परिषद के तत्कालीन चेयरमैन रजनीश दुबे की जांच रिपोर्ट के आधार पर उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब लखनऊ के सरोजिनी नगर तहसील के अंतर्गत स्थित भटगांव जमीन अधिग्रहण में घोटाला किया गया तो क्रय समिति के अध्यक्ष लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश थे।
आरोप है कि उन्होंने फर्जी पट्टे के आधार पर भू-माफिया से मिलीभगत करके करोड़ों रुपये का घोटाला किया था। राजस्व विभाग ने इस मामले में कई दौर की फील्ड जांच, दस्तावेजी जांच और गवाहों के बयान के बाद रिपोर्ट तैयार की है। जांच में पाया गया कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में ना केवल मूल्यांकन में गड़बड़ी की गई, बल्कि शासन के दिशा-निर्देशों की भी अनदेखी हुई। अभिषेक प्रकाश को इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के पद पर रहते हुए कमीशनखोरी के मामले में निलंबित किया जा चुका है।
बड़ी अनियमितताएं सामने आईं
- भूमि के गलत मूल्यांकन से सरकारी फंड का दुरुपयोग
- जमीन के रिकॉर्ड में फेरबदल
- बिना नियमानुसार प्रक्रियाओं को अपनाए अधिग्रहण
- निजी हितों को साधने के लिए पद का दुरुपयोग
- सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों के साथ मिलीभगत
राजस्व विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर जो चार्जशीट नियुक्ति विभाग को सौंपी गई है, उसमें भ्रष्टाचार, प्रशासनिक लापरवाही, वित्तीय अनियमितता और पद के दुरुपयोग जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। चार्जशीट में दर्ज है कि 40 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी राशि की गलत तरीके से मंजूरी दी गई। जमीन के असली मालिकों को नजरअंदाज कर कुछ विशेष लोगों को मुआवजा दिया गया।
अधिग्रहण में शामिल कई दस्तावेजों पर मनमानी हस्ताक्षर प्रक्रिया अपनाई गई। यहां पर परियोजना की आड़ में निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।
अभिषेक प्रकाश 2010 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। लखनऊ, सिद्धार्थनगर व प्रयागराज कई जिलों में जिलाधिकारी के पद पर तैनात रह चुके हैं। लखनऊ में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और इन्वेस्टर्स समिट को लेकर चर्चा में रहे।
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