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    '15 दिन में शहर छोड़ दें...', ये किसने कहा और अचानक से गायब हो गए कई संदिग्ध बांग्लादेशी? झोपड़ियों पर लटका ताला

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 08:34 AM (IST)

    लखनऊ में संदिग्ध बांग्लादेशी, जो अवैध झोपड़ियों में रहते थे, प्रशासन की सख्ती के कारण भूमिगत हो गए हैं। नगर निगम और पुलिस की सक्रियता से वे झोपड़ियों ...और पढ़ें

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    गुडंबा क्षेत्र के बहादुरपुर में संदिग्ध बांग्लादेशियों की बस्ती में दिखने लगा है सन्नाटा


    अजय श्रीवास्तव, लखनऊ। शहर के जो अवैध झोपडिय़ां गुलजार दिखती थीं। दिन भर बटोरे गए कूड़ों से कबाड़ की छंटाई होती थी और चूल्हे जलते दिखते थे। अपनी भाषा में बात करते लोग दिखते थे, अब उन झोपडिय़ों में ताले लटकने लगे हैं या बांस के टट्टर और फ्लैक्स लगाकर बंद कर दिया गया है। नगर निगम के साथ ही पुलिस की तरफ से संदिग्ध बांग्लादेशियों की तलाश तेज हुई तो अवैध बस्तियों में रहने वाले अचानक से भूमिगत हो गए हैं। ये लोग कहां गए हैं? कोई बताने वाला नहीं है।

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    गुडंबा के बहादुरपुर में डेढ़ सौ झोपडिय़ा थी, जो सपा के पूर्व पार्षद पंकज यादव की जमीन पर बनाई गई थी लेकिन शुक्रवार को वहां कई झोपडिय़ों में में वीरानियत छाई थी। वहां रहने वाले शहर छोड़कर चले गए या फिर किसी अन्य झोपड़ी में ठिकाना बनाया है। यह भी जांच का विषय है।

    यही हाल अयोध्या रोड की कई अवैध बस्तियों में ही यही हाल है, जहां झोपडिय़ां खाली हो गई हैं या हो रही हैं गुरुवार को ही महापौर सुषमा खर्कवाल ने टीम के साथ बहादुरपुर की बस्ती में छापा मारा था और घुसपैठिएं को पंद्रह दिन में शहर छोडऩे को कहा था, जिसका असर भी दिखने लगा है तो पुलिस ने भी इंदिरानगर, कृष्णानगर और डालीबाग के पास बस्तियों में जाकर संदिग्ध बांग्लादेशियों के अभिलेखों को देखा था।

    पलायन करने वाले वे लोग अधिक हैं, जो भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं दिखा पा रहे हैं। कुछ के पास आधार कार्ड तो है लेकिन असम सरकार की तरफ से जारी एनआरसी नंबर नहीं है। असम सरकार एनआरसी में संबंधित व्यक्ति के पूर्वजों का लेखा-जोखा होने से यह साबित हो जाता है कि वे बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं हैं और असम के ही निवासी हैं लेकिन अधिकांश के पास एनआरसी नहीं है।

    शहर के कूड़ा प्रबंधन के लिए नगर निगम की तरफ से अधिकृत मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान कंपनी की तरफ से जब सफाई कर्मचारियों से एनआरसी नंबर मांगा गया था तो उसमे से 168 कोई अभिलेख नहीं दे पाए थे और नौकरी छोड़कर ही दिए ही भाग गए थे, अलग इलाकों में रहने वाले इन लोगों ने भी झोपडिय़ां खाली कर दी है।

    इन झोपडिय़ों में भी पसरने लगा सन्नाटा
    शंकरपुरवा वार्ड (तृतीय) का विनायक पुर यहां 80 से सौ झोपडिय़ां थी लेकिन बीस से अधिक झोपडिय़ों में सन्नाटा पसरा था। इसी तरह से शंकरपुरवा वार्ड (प्रथम) के अतरौली चांदू,अंग्रेज फार्म चौराहे के पास कपरिया बाबा मजार के पास, यूनिटी सिटी, शंकरपुरवा वार्ड (द्वितीय) गन्ने का पुरवा, इंदिरा प्रियदर्शनी वार्ड चांदन गांव के पास तथागत पब्लिक स्कूल के पास, जरहरा, मानस सिटी के पीछे, इंदिरानगर में लवकुश नगर मुंशी वाली गली, इस्माइलगंज वार्ड (द्वितीय) गोविंद विहार, शहीद भगत सिंह वार्ड (प्रथम) हरदासी खेड़ा के अलावा सुग्गामऊ में कई झोपडिय़ां खाली हो चुकी है। यहां पर लोगों से एनआरसी मांगी जा रही थी और न देने के कारण गायब हो गए थे। इसी तरह भरवारा एसटीपी के पास भी झोपडिय़ों में रहने वाले भी गायब हो गए हैं और अब वहां सन्नाटा दिखाई दे रहा है।

    उïन्हें जानकारी मिल रही है कि सख्ती होने के बाद शहर की कई अवैध बस्तियों से संदिग्ध बांग्लादेशी भाग गए हैं, ये कहीं और ठिकाना न बनाए, इसके लिए नगर निगम टीम को सतर्क कर दिया गया है। अगर पंद्रह दिन में भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं दे पाए तो ऐसे लोगों को लखनऊ छोडऩे को भी कहा गया है -सुषमा खर्कवाल, महापौर