Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निर्भीकता और ईमानदारी ने सुरेंद्र सिंह को बनाया था स्मृति ईरानी का चहेता

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 27 May 2019 04:31 PM (IST)

    आम चुनाव 2014 में दिलाई थी अपने गांव में बड़ी जीत। 2019 में भी गांव के सभी बूथों पर जीती हैं स्मृति। ...और पढ़ें

    Hero Image
    निर्भीकता और ईमानदारी ने सुरेंद्र सिंह को बनाया था स्मृति ईरानी का चहेता

    अमेठी, जेएनएन। जिस बेल्ट में भाजपा की आम चुनाव में सबसे बुरी हाल रहती थी, उसी क्षेत्र में उम्मीद बनकर उभरे थे बरौलिया के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह। आम चुनाव 2014 में जब स्मृति ईरानी पहली बार अमेठी की चुनावी रणभूमि में राहुल गांधी के मुकाबले चुनाव लड़ने उतरीं तो बरौलिया गांव में उन्हें सर्वाधिक वोट हासिल हुए। बरौलिया में मिले रिकॉर्ड वोटों ने सुरेंद्र सिंह को स्मृति के करीब लाकर खड़ा कर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आम चुनाव 2014 के ठीक बाद बरौलिया गांव में आग लगी तो पीडि़तों की मदद को सुरेंद्र की पहल पर सबसे पहले हार के बाद भी स्मृति ईरानी गांव पहुंचीं। सुरेंद्र की मेहनत और बरौलिया में मिले रिकॉर्ड मतों ने स्मृति की नजर में पूर्व प्रधान के कद को बहुत बड़ा कर दिया। यूपी से राज्यसभा सांसद बने मनोहर पर्रिकर ने स्मृति की जिद पर ही बरौलिया गांव को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया और पिछले पांच सालों में गांव में सोलह करोड़ से अधिक की लागत से विकास कार्य करवाए गए। वैसे तो सुरेंद्र सिंह 2005 में पहली बार बरौलिया के ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए। इससे पहले वह भाजपा संगठन में जामो मंडल के अध्यक्ष थे।

    प्रधान बनने के बाद उन्होंने बरौलिया के विकास के साथ ही वहां की जनता के साथ अपनत्व का ऐसा रिश्ता बनाया कि उसके बाद होने वाले हर चुनाव में सुरेंद्र ने जिसे चाहा वही गांव का प्रधान बना। वर्तमान में गांव के ग्राम प्रधान राम प्रकाश भी सुरेंद्र के बेहद करीबी लोगों में हैं। आम चुनाव 2019 में कांग्रेस ने बरौलिया में पूरी ताकत से स्मृति को हराने की कोशिश की, लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो एक बार फिर बरौलिया में स्मृति ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की।

    इतना ही नहीं, सुरेंद्र स्मृति ने जिस क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी थी उसमें भाजपा के परंपरागत वोट बहुत ही कम हैं। इसके बावजूद भी उस क्षेत्र में सुरेंद्र की मेहनत व उनकी रणनीति से भाजपा को बढ़त मिली। चुनाव परिणाम आने के दिन हरदों में कार्यकर्ता मुकेश की मौत पर सुरेंद्र के कहने पर स्मृति उसके घर पहुंची और परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उसके अगले दिन शुक्रवार को बरौलिया में सुरेंद्र ने स्मृति की जीत पर बड़े जश्न का आयोजन किया, जिसमें आसपास के हजारों लोग जुटे। शायद यह बात विरोधियों को अच्छी नहीं लगी। वहीं, विधानसभा चुनाव 2017 के पहले तक सुरेंद्र भाजपा के जिला उपाध्यक्ष भी थे। संगठन में अपनी अहम भूमिका बनाए रखने वाले सुरेंद्र स्मृति के भी बेहद चहेते थे। 

    अमेठी में 13 दिन तक नहीं मनेगा भाजपा की जीत का जश्न

    लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप