चीनी मिलों को चेतावनी, यदि किसानों को तुरंत गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं किया तो बंद हो जाएगा अनुदान
केंद्र और प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने चीनी मिल प्रतिनिधियों से कहा कि चीनी मिलों को भारत सरकार से मिलने वाले अनुदान के माध्यम से गन्ना मूल्य का त्वरित भुगतान करना चाहिए। ऐसा न करने वाली मिलों को सरकार से मिलने वाली अनुदान योजनाओं से वंचित किया जा सकता है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। सरकार चाहती है कि चीनी मिल से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान तुरंत हो जाए। भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने चीनी मिल प्रतिनिधियों को इस संबंध में स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि गन्ना मूल्य का तुरंत भुगतान न करने वाली चीनी मिलों को भारत सरकार की अनुदान योजनाओं से वंचित किया जा सकता है। वहीं, प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने निर्देश दिया है कि चीनी मिलों के ब्वायलर से निकलने वाली राख से पोटाश बनाया जाए।
केंद्र और प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने गुरुवार को निजी चीनी मिल समूहों और एकल इकाइयों के मुख्य वित्त अधिकारियों के साथ आयुक्त कार्यालय के सभागार में बैठक की। संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने चीनी मिल प्रतिनिधियों से कहा कि चीनी मिलों को भारत सरकार से मिलने वाले अनुदान के माध्यम से गन्ना मूल्य का त्वरित भुगतान करना चाहिए। ऐसा न करने वाली चीनी मिलों को भारत सरकार से मिलने वाली अनुदान योजनाओं से भविष्य में वंचित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि चीनी मिल प्रबंधन को मिल के सफल संचालन के लिए उच्च प्रबंधकीय क्षमता वाले अधिकारियों-कार्मिकों को सेवायोजित करना चाहिए। गन्ना मूल्य भुगतान और गन्ना विकास कार्याें को प्राथमिकता पर रखते हुए वित्तीय प्रबंधन और ऋण आदि विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए। संयुक्त सचिव ने चीनी मिलों को कारपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के माध्यम से ड्रिप सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कहा। साथ ही निर्देश दिया कि चीनी मिल आसवनियों को वर्ष भर चलाएं, जिससे इथेनाल की आपूर्ति बाधित न हो।
अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने कहा कि भारत सरकार और प्रदेश सरकार गन्ना किसानों के हित में चीनी मिलों को सभी आवश्यक सुविधाएं व अवसर उपलब्ध करा रही है। ऐसी स्थिति में चीनी मिलों को भी भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। 30 लाख टन और 40 लाख टन बफर स्टाक योजना तथा वर्ष 2019-20, 2020-21 के निर्यात अनुदान के उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रेषण की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने चीनी मिलों के ब्वायलर से निकलने वाली राख से पोटाश बनाने के निर्देश भी दिए।
कहा कि इस विधि से पोटाश बनाने पर विदेशी मुद्रा की बचत होगी, क्योंकि पोटाश बाहरी देशों से आयात किया जाता है। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को सार्थक करने में चीनी मिलों को भी योगदान देना होगा। बैठक में विभाग के विशेष सचिव शिव सहाय अवस्थी, अपर गन्ना आयुक्त (प्रशासन) डा. रूपेश कुमार, अपर गन्ना आयुक्त आरपी यादव और संयुक्त गन्ना आयुक्त क्रय विश्वेश कनौजिया ने भी विचार रखे।

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