Sudha Singh: पद्मश्री से सम्मानित सुधा सिंह इंदिरा मैराधन में पहली बार दौड़ीं और मार ली बाजी
Sudha Singh Won Indira Marathon in First Attempt रायबरेली निवासी और यहां के मार्डन रेल कोच फैक्ट्री में क्रीड़ा अधिकारी सुधा सिंह ने प्रयागराज में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की स्मृति में आयोजित की जाने वाली इंदिरा मैराथन के 37वें संस्करण को अपने नाम किया।
लखनऊ [धर्मेन्द्र पाण्डेय]। Sudha Singh Won Indira Marathon in First Attempt: ओलिंपिक तथा एशियाई खेलों में लम्बी दूरी की दौड़ में भाग लेने वाली सुधा सिंह ने प्रयागराज में शनिवार को नया रिकार्ड भी बनाया। मुम्बई के साथ ही पुणे तथा दिल्ली में कई मैराथन दौड़ में भाग लेकर उनको जीतने वाली रायबरेली एक्सप्रेस के नाम से विख्यात अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) विजेता सुधा सिंह ने पहली बार भाग लेते हुए इंदिरा मैराथन के महिला वर्ग में बाजी मारी है।
पद्मश्री (PadamShree) से सम्मानित सुधा सिंह 42.195 किमी लम्बी दौड़ के महिला वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। सुधा सिंह ने पहली बार इंदिरा मैराथन में भाग लिया। दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र के परबनी की अश्विनी जाधव रहीं। इंदिरा मैराथन की छह बार की विजेता ज्योति शंकर गावते ने तीसरा स्थान हासिल किया।
महिला वर्ग की विजेता सुधा सिंह ने 2 घंटा 51 मिनट और 44 सेकंड में फिनिशिंग लाइन को पार किया। द्वितीय स्थान पर रहीं अश्विनी जाधव ने तीन घंटा एक मिनट और 22 सेकंड का समय निकाला जबकि ज्योति शंकर गावते ने तीन घंटा, पांच मिनट और 15 सेकंड की टाइमिंग के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। सुधा सिंह को वर्ष 2012 में इनको अर्जुन पुरस्कार से और 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
रायबरेली निवासी और यहां के मार्डन रेल कोच फैक्ट्री (Modern Rail Coach Factory) में क्रीड़ा अधिकारी (Sports Officer) सुधा सिंह ने प्रयागराज में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की स्मृति में आयोजित की जाने वाली इंदिरा मैराथन के 37वें संस्करण को अपने नाम किया। प्रयागराज में 1985 से आयोजित की जा रही इस मैराथन में वह पहली बार दौड़ीं और जीत ली।
एथलेटिक्स कैरियर में पांच तथा दस हजार मीटर की दौड़ में विश्व में अलग पहचान बनाने वाली सुधा सिंह ने पांच बार मुंबई मैराथन जीत कर अनोखा रिकार्ड भी बनाया है। सुधा सिंह को अर्जुन पुरस्कार, यश भारती और रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह 2010 एशियाई खेल की स्टीपल चेज स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने 2012 और 2016 ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया।