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    Lucknow University: ‘थॉर’ की कहानी पढ़ेंगे छात्र, जान सकेंगे रानी दिद्दा के सिक्कों का इतिहास

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 09 Feb 2021 05:09 PM (IST)

    हॉलीवुड की फिल्मों जैसे एवेंजर्स और इंनफिनिटी वार में दुश्मनों को मार गिराने वाले ‘थॉर’ के बारे में छात्र अब सिलेबस में भी पढ़ सकेंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने इसे कोर्स में शामिल किया है।

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    लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने कोर्स में क‍िए कई जरूरी बदलाव।

    लखनऊ, [अख‍िल सक्‍सेना]। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं अब हॉलीवुड की फिल्मों जैसे एवेंजर्स और इंनफिनिटी वार में दुश्मनों को मार गिराने वाले ‘थॉर’ के बारे में सिलेबस में भी पढ़ सकेंगे। विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने एमए के लिए तैयार किए गए सीबीसीएस (च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम) कोर्स में इसे शामिल किया है। छात्र-छात्राओं को 650 ईसवी के बाद आए प्राचीन सिक्कों के बारे में भी बताया जाएगा। इसमें राजपूत वंश, महमूद गजनी एवं कश्मीर की रानी दिद्दा की ओर से जारी सिक्के भी शामिल होंगे। अभी तक 650 साल तक ही सिक्कों के बारे में पढ़ाया जाता था।

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    विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने कोर्स में कई जरूरी बदलाव किए हैं। विभाग के प्रो. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि एमए एआइएच के तीसरे सेमेस्टर में ‘प्राचीन विश्व के मिथक’ नाम से जेनेरिक इलेक्टिव पेपर होगा। यह एमए के साथ दूसरे कोर्स वाले छात्र भी ले सकेंगे। 100 नंबर के पेपर में 70 का सेमेस्टर एंड और 30 का सतत आंतरिक मूल्यांकन होगा। उन्होंने बताया कि इस पेपर में भारत, यूनान, ईरान, सुमेरिया, उत्तरी यूरोप की मायथालाजी पढ़ाई जाएगी। पूरा पेपर पांच यूनिट का होगा। प्रत्येक यूनिट में एक-एक मायथालाजी को रखा गया है।

    थार और उसके हथौड़े का इतिहास

    वह बताते हैं कि उत्तरी यूरोप के मिथक को नोर्स मिथक बोला जाता है। वहां की भाषा, कविताओं, साहित्य, फिल्म, नाटक में जो पात्र दिखाई देते हैं, उन पात्रों के बारे में जानकारी दी जाएगी। थार, उसका हथियार हथौड़ा (नाम म्योल्नीर), उसके पिता ओडीन से जड़ी कई रोचक चीजें छात्रों को कोर्स में जानने को मिलेंगी। इसी तरह ग्रीक (यूनान) में वहां के देवता और विरोध करने वाले टाइटन के बारे में बताएंगे। इनसे जुड़े मिथक पढ़ाएंगे।

    नेट की तैयारी में मिलेगी मदद

    अभी तक एमए में हर्ष के सिक्के पढ़ाए जाते थे। अब 650 से 1206 ईसवी तक के सिक्के भी कोर्स में शामिल किए गए हैं। प्रो. प्रशांत बताते हैं कि अभी तक 600 साल के सिक्कों के बारे में छात्रों को खुद ही इधर-उधर से जानकारी जुटानी पड़ती थी। अब क्लास रूम में पढ़ेंगे। नेट की तैयारी में आसानी होगी।

    इतिहास में इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी भी जानेंगे छात्र

    एमए दूसरे सेमेस्टर में टाइम लाइन्स आफ एश्चियन इंडियन हिस्ट्री शामिल किया है। इसमें प्रागैतिहास (प्री-हिस्ट्री) से शुरू करके 1206 ईसवी तक पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी और चौथे सेमेस्टर में पर्सनालिटी डेवपलमेंट भी बताएंगे। 

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