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    Good News : यूपी में एक दशक में 57 प्रतिशत बढ़ गया सारस पक्षी का कुनबा, जानें- कैसे होती है इनकी गिनती

    UP Latest News उत्तर प्रदेश में वन विभाग ने वर्ष 2012 से साल में दो बार सारस की गणना शुरू की थी। कोरोना काल में वर्ष 2020 में गणना नहीं हो सकी थी। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद वर्ष 2021 में सारस की गणना फिर शुरू हुई।

    By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2022 07:52 AM (IST)
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    UP Latest News: उत्तर प्रदेश में 17,665 हो गई है राजकीय पक्षी सारस की संख्या।

    लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। उत्तर प्रदेश सरकार के सार्थक प्रयासों से पिछले एक दशक में राजकीय पक्षी सारस का कुनबा 57 प्रतिशत बढ़ गया है। दिसंबर 2021 की गणना में प्रदेश में 17,665 सारस मिले हैं, जबकि वर्ष 2012 में इनकी संख्या 11275 थी। सर्वाधिक 3293 सारस इटावा और औरैया क्षेत्र में मिले हैं। दूसरा नंबर मैनपुरी का है यहां 2737 सारस मिले हैं।

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    उत्तर प्रदेश में पहले सारस की नियमित गणना नहीं होती थी। वन विभाग ने वर्ष 2012 से साल में दो बार सारस की गणना शुरू की। गणना के लिए समय निश्चित होता है और एक ही समय में पूरे प्रदेश में गणना की जाती है। कोरोना काल में वर्ष 2020 में गणना नहीं हो सकी थी। कोरोना संक्रमण कम होने के बाद वर्ष 2021 में सारस की गणना फिर शुरू हुई।

    दिसंबर 2021 की गणना में उत्तर प्रदेश में 17,665 सारस मिले जबकि जून 2021 की गणना में इनकी संख्या 17329 थी। यानी छह महीने में 336 सारस बढ़ गए। उत्तर प्रदेश के कुल 81 वन प्रभागों में से 17 में सारस की संख्या शून्य मिली है। 20 वन प्रभाग ऐसे हैं जिनमें सारस की संख्या पिछले बार से घटी है। एटा में सर्वाधिक कमी देखने को मिली है। यहां पिछली गणना में 1155 सारस मिले थे जबकि दिसंबर 2021 की गणना में 634 सारस ही मिले हैं।

    ऐसे होती है गणना : वन विभाग सारस गणना के लिए प्रत्येक प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी को अपने-अपने क्षेत्र का कोआर्डिनेटर बनाता है। वन रक्षक गणना टीम के लीडर होते हैं। वन रक्षक के क्षेत्र में जितने भी वेटलैंड होते हैं उतनी टीमें बनाई जाती हैं। प्रत्येक गणना स्थल की जीपीएस रीडिंग यानी अक्षांश व देशांतर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाता है। सारस की पहचान चोंच, पंख और पैरों से की जाती है। सारस के बच्चों की चोंच और सिर पीला होता है। व्यस्क सारस की चोंच स्लेटी और सिर का रंग गहरा लाल और पैर गुलाबी होते हैं।

    जागरूक कर किया सारस का संरक्षण : वन विभाग ने सारस के संरक्षण के लिए गांव-देहात में लोगों को जागरूक किया। विभाग ने सर्वेक्षण कर सारस के वासस्थल को किन-किन चीजों से खतरा है इसका पता लगाया, इसके बाद उन उपायों को किया जिनसे इनका संरक्षण हो सके। इसके अलावा वासस्थलों पर अलग-अलग कारणों से यदि कोई प्रदूषण पाया गया तो उसे भी दूर कर सारस का संरक्षण किया गया।

    25 व 26 जून को ग्रीष्मकालीन गणना : अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रोजेक्ट टाइगर कमलेश कुमार ने बताया कि इस बार सारस की ग्रीष्मकालीन गणना 25 व 26 जून को होगी। सारस की गणना प्रदेश के सभी जिलों में एक साथ कराई जाएगी। इस बार एनजीओ व कुछ स्कूली बच्चों को भी जोड़ा गया है। प्रत्येक स्थल पर गणना सुबह छह से आठ बजे एवं शाम को चार से छह बजे के बीच एक-एक बार की जाएगी। दोनों में से अधिकतम संख्या को वास्तविक संख्या माना जाएगा। गणना स्थल ऊंचे स्थानों पर बनाए जाते हैं जहां से अधिक संख्या में सारस दिखाई दे सकें। गणना में दूरबीन व डिजिटल कैमरे का प्रयोग किया जाता है। गणना करते समय व्यस्क और बच्चों की गिनती अलग-अलग की जाएगी।

    यहां मिले सर्वाधिक सारस

    • इटावा - औरैया - 3293
    • मैनपुरी - 2737
    • शाजहांपुर - 1606
    • फर्रुखाबाद - 772
    • हरदोई - 690
    • सिद्धार्थनगर - 592
    • उन्नाव - 533
    • कानपुर देहात - 520

    इस तरह बढ़ा सारस का कुनबा

    • वर्ष - सारस की संख्या
    • 2021 - 17665
    • 2019 - 17586
    • 2018 - 15938
    • 2017 - 15110
    • 2016 - 14389
    • 2015 - 13332
    • 2014 - 12566
    • 2013 - 11977
    • 2012 - 11275