Lalit Kala Academy 60th Foundation Day: आज होगा तीन दिवसीय कला रंग महोत्सव का शुभारंभ, राज्य ललित कला अकादमी मनाएगा 60वां स्थापना दिवस
लखनऊ स्थित राज्य ललित कला अकादमी का सोमवार को 60वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान अकादमी द्वारा तीन दिवसीय कला रंग महोत्सव शुरू किया जाएगा। इसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम तीन दिन तक चलेंगे।

लखनऊ, जेएनएन। ललित कला और कलाकारों के उत्थान के लिए बनी राज्य ललित कला अकादमी का सोमवार को 60वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान अकादमी द्वारा तीन दिवसीय कला रंग महोत्सव शुरू किया जाएगा। इसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन रविवार को कैसरबाग स्थित छतर मंजिल में विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक और महापौर संयुक्ता भाटिया करेंगी।
1962 में हुई थी स्थापना:
अकादमी की स्थापना आठ फरवरी 1962 को डालीगंज के बाबूगंज इलाके में की गई थी। उसके दो महीने बाद इसे कैसरबाग के लाल बारादरी में स्थानांतरित कर दिया गया। तब यहां राज्य संग्रहालय हुआ करता था, जिसे बाद में नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में शिफ्ट कर दिया गया। पहले अकादमी में सचिव के स्थान पर प्रदर्शनी अधिकारी होते थे। सबसे पहले प्रदर्शनी अधिकारी गजनफ्फर हुसैन सिद्दीकी थे। कलाकारों के संरक्षण के लिए बनाई गई अकादमी से कई ऐसे कलाकार जुड़े, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया।
ये रह चुके हैं अध्यक्ष
अकादमी के पहले अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डा. सम्पूर्णानंद थे। अब तक कुल 20 लोग अध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें डा. संपूर्णानंद के अलावा डा. राधाकमल मुकर्जी, डा. केएन कौल, राजन नेहरू, प्रो. केएस कुलकर्णी, कुंवर जे. कोहली, डा. राय आनंद कृष्ण, दया प्रकाश सिंह, वीना दुग्गल, सतीश चंद्र, योगेंद्र नाथ योगी, सीएन दुबे, केके उपाध्याय, कुंवर बृजेंद्र प्रताप सिंह, उमेश दीक्षित, अजय शील गौतम, लाल जीत अहीर, नावेद सिद्दीकी, मो. यामीन खान, डा. राजेंद्र सिंह पुंढीर शामिल हैं। वर्तमान अध्यक्ष सीताराम कश्यप हैं।
अकादमी कलाकारों के लिए समर्पित
अकादमी के सबसे पुराने कर्मचारी राजेंद्र मिश्र हैं, जो रंगकर्मी और चित्रकार हैं। वह अकादमी में पिछले 35 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अकादमी हमेशा ही अपने कलाकारों के साथ खड़ी रही है और आगे भी उनके लिए समर्पित रहेगी। लाकडाउन का समय मुश्किल भरा जरूर रहा, लेकिन कलाकारों ने हिम्मत नहीं हारी।
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