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    गरीबी को मात देकर राष्ट्रीय स्तर पर चमके ये सितारे, खेल दिवस पर पढ़ें लखनऊ के जांबाज खिलाड़ियों की सक्सेस स्टोरी

    लखनऊ में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में सफलता पाई है। कभी पाई-पाई को तरसने वाले तसव्वुर अली के बेटे आमिर अली और शाहरुख अली आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। छोले-भटूरे बनाने वाले सर्वेश राठौर की बेटी खुशी राठौर अब पुलिस में है। इन खिलाड़ियों ने पुराने दिनों को पीछे छोड़ सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 28 Aug 2025 11:21 PM (IST)
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    खेल दिवस पर पढ़ें लखनऊ के जांबाज खिलाड़ियों की सक्सेस स्टोरी (File Photo)

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। कभी पाई-पाई को तरसे... परिवार को दो जून की रोटी मिलना मुश्किल हो जाता था, लेकिन आज जब बेटे आमिर अली और शाहरुख अली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते हुए चमकते पदक अपने पिता तसव्वुर अली के गले में पहनाते हैं तो उनकी परेशानियां कोसों दूर हो जाती हैं।

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    यही नहीं, चौक के एक होटल में छोले-भटूरे बनाने वाले सर्वेश राठौर की बेटी खुशी राठौर ने मां के साथ सड़क पर सब्जी बेचा और अब हॉकी खेलकर पुलिस की नौकरी हासिल की तो पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

    सिर्फ आमिर, शाहरुख या खुशी ही नहीं, बल्कि लखनऊ में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में सफलता पाई और अब राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर रहे हैं।

    जिनके तन पर कभी पुराने और सस्ते ट्रैक सूट, पैरों में फटे जूते होते थे वे अब ब्रांडेड जूते और ट्रैक सूट में दिखते हैं। कभी कोने में दुबके रहने वाले ये खिलाड़ी अब सम्मान और सफलता की चकाचौंध में आत्मविश्वास से भरे नजर आते हैं। पेश है विकास मिश्र की रिपोर्ट...

    आमिर अली एवं शाहरुख

    नेशनल कॉलेज के बगल जल निगम के कार्यालय के पास फुटपाथ पर मोपेड बनाने वाले तसव्वुर अली ने कभी सपने में नहीं सोचा था कि उनके बेटे आमिर और शाहरुख देश के लिए खेंलेग। बचपन में तसव्वुर ने दोनों बच्चों को चंद्रभानु गुप्त मैदान में हॉकी खेलने के लिए भेजना शुरू किया।

    वर्ष 2014 में आमिर का चयन सैफई स्पोर्ट्स कॉलेज में हो गया, जबकि शाहरूख चंद्रभानु गुप्त खेल मैदान पर ही खेलते रहे।

    आमिर सैफई से लखनऊ लौटे और लखनऊ के साई सेंटर में ट्रेनिंग करने लगे। आमिर को राज्यस्तरीय टीम में धमाकेदार प्रदर्शन का इनाम मिला और उन्हें उनका चयन टीम इंडिया में हो गया।

    उन्होंने साल 2022 में सुल्तान जोहोर कप अंतरराष्ट्रीय जूनियर हॉकी टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2024 एशियन चैंपियन ट्राफी के लिए आमिर को पहली बार सीनियर भारतीय टीम में जगह मिली।

    वह अब तक दो बार जूनियर एशिया कप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा तीन बार सुल्तान जोहोर कप, पिछले साल एशियन चैंपियंस ट्राफी और एफआइएच प्रो लीग खेला। साल 2024 में उन्हें प्लेयर आफ डेब्यू भी चुना गया। वहीं शाहरुख अली खान सेंटर फारवर्ड की भूमिका में हैं। वह राज्य के लिए निरंतर जूनियर और सीनियर स्तर पर राष्ट्रीय चैंपियनशिप दमखम दिखा रहे हैं।

    एथलीट शाहरुख खान

    एथलीट शाहरुख खान के शुरुआती दिन आर्थिक तंगी में बीते। पिता मुंबई में ड्राइवर थे। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं तो उनके भाइयों ने शाहरुख का प्रवेश यह सोचकर स्पोर्ट्स कॉलेज में करा दिया कि वहां सरकार के खर्च पर फ्री भोजन और ट्रेनिंग मिलेगी, लेकिन शाहरुख ने देश के लिए खेलने का सपना देखा था। वह लंबी दूरी और स्टीपलचेज के धावक बने।

    उनके नाम स्टीपलचेज का जूनियर राष्ट्रीय रिकार्ड भी है। शाहरुख एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुके हैं। पिछले वर्ष विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत की तरफ से हिस्सा लिया। मौजूदा समय में वह बेंगलुरु में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

    खुशी राठौर

    खुशी राठौर के संघर्ष की अनूठी कहानी है। पिता एक रेस्टोरेंट में छोले-भटूरे बनाते हैं और मां चौक में सब्जी का ठेला लगाती थी। उनकी मुलाकात खेल प्रमोटर डॉ. रश्मि धवन से हुई। उन्होंने खुशी को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। खुशी हॉकी खेलने लगी।

    अपनी प्रतिभा के दम पर खुशी का चयन वर्ष 2022 में साई सेंटर में हुआ। उसने कई जूनियर स्तर की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में राज्य का प्रतिनिधित्व किया। खेलो इंडिया हॉकी लीग में साई सेंटर लखनऊ की तरफ से खेला। अब उनका चयन स्पोर्ट्स कोटे के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस में हो गया है।

    विप्रज निगम

    लखनऊ से सटे बाराबंकी के शिक्षक दंपति के इकलौते बेटे विप्रज निगम ने ने परिस्थितियों के विपरीत क्रिकेट को चुना और अब सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। शुरुआती दौर में वह सिर्फ बल्लेबाजी करते थे। बीसीसीआइ के एक अंडर-19 टूर्नामेंट में उन्होंने दो मैचों में गेंदबाजी की और 14 विकेट हासिल कर खूब सूर्खियां बटोरी।

    इसके बाद विप्रज को एनसीए का कैंप मिल गया। उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट पिछले सत्र का आइपीएल रहा, जिसमें उन्हें दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने जोड़ा।

    एक मैच में 15 गेंदों पर 40 रनों की पारी खेली थी। बाएं हाथ के लेगब्रेक गेंदबाज विप्रज उत्तर प्रदेश के लिए सभी फार्मेट खेल चुके हैं। सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में उन्होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ आठ गेंदों पर 27 रन बनाकर उत्तर प्रदेश को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाया था।

    जीशान अंसारी

    आइटी चौराहे पर टेलर की दुकान चलाने वाले के बेटे जीशान अंसारी ने आर्थिक तंगी के बीच दिन बिताए। किसी ने उनका एलडीए स्टेडियम में क्रिकेट में प्रवेश कराया। इसके बाद वह पहले शहर के फिर लखनऊ और उसके बाद देश के शानदार फिरकी गेंदबाज बने।

    कभी उनके पास जूते और किट खरीदने के पैसे नहीं होते थे, लेकिन कड़ी मेहनत और शानदार प्रदर्शन से अब उनके दिन बदल गए हैं। पिछले वर्ष यूपी टी-20 लीग में सर्वाधिक 21 विकेट लेकर पर्पल कैपधारी बने। इसी आधार पर आइपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद ने उन्हें अपने साथ जोड़ा।

    जीशान ने 2017 में रेलवे के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्राफी में पदार्पण किया। इससे पहले साल 2016 में भारत-बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बीच हुई त्रिकोणीय सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया। इसी आधार पर उन्हें अंडर-19 विश्व कप खेलने के लिए भारतीय टीम में चुना गया। इस समय वह यूपी टी-20 लीग में मेरठ मेवरिक्स से खेलते हैं