Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शुभांशु शुक्ला ने शेयर किया अपना एक्सपीरियंस, कहा- माइक्रोग्रैविटी के कारण साधारण से प्रयोग भी हो जाते हैं जटिल

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 01:40 PM (IST)

    ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष मिशन के दौरान विज्ञान प्रयोगों के अपने अद्भुत अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि माइक्रोग्रैविटी के कारण साधारण ...और पढ़ें

    Hero Image
    शुभांशु शुक्ला ने शेयर किया अपना एक्सपीरियंस

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। अंतरिक्ष मिशन के दौरान विज्ञान प्रयोग करना अपने आप में अद्भुत अनुभव है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने सोशल मीडिया पर बताया कि अंतरिक्ष में अत्यल्प गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) के कारण साधारण से प्रयोग भी जटिल हो जाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अंतरिक्ष में हर वस्तु तैरती रहती है, इसलिए यदि कोई चीज छोड़ दी जाए तो वह टूटेगी नहीं, लेकिन उड़कर कहीं भी चली जाएगी और उसे खोजने में काफी समय लग सकता है।

    शुक्ला ने बताया कि वे जीवन विज्ञान दस्ताना डिब्बा (एलएसजी लाइफ साइंसेज ग्लवबाक्स) में प्रयोग कर रहे थे। यह डिब्बा उन प्रयोगों के लिए उपयोग होता है जिनमें अधिक सुरक्षा और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

    उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने से मांसपेशियों पर दबाव नहीं पड़ता, जिससे वे कमजोर होने लगती हैं। पृथ्वी पर हमारी मांसपेशियां हमेशा गुरुत्वाकर्षण के दबाव (1जी) में रहती हैं, लेकिन अंतरिक्ष में यह दबाव खत्म हो जाता है। इसी कारण अंतरिक्ष यात्रियों को नियमित व्यायाम करना पड़ता है, फिर भी कुछ मांसपेशियां प्रभावित हो जाती हैं।

    उन्होंने बताया कि भारत के स्टेम सेल विज्ञान एवं पुनर्योजी चिकित्सा संस्थान (इंस्टेम) के वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रयोग तैयार किया है, जिसमें प्राकृतिक पूरकों (सप्लीमेंट्स) का प्रभाव मांसपेशियों की मरम्मत और स्टेम सेल्स पर देखा जा रहा है।

    एलएसजी में काम करने की प्रक्रिया भी रोचक है। पहले सभी उपकरण बाहर तैयार किए जाते हैं, फिर स्वच्छता नियमों का पालन करते हुए उन्हें डिब्बे में रखा जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक दस्ताने पहनकर अंदर काम करते हैं और श्रवण यंत्र (हेडसेट) के जरिए धरती पर मौजूद टीम से जुड़े रहते हैं। टीम कैमरे से सब देखती है और किसी भी समस्या का समाधान तुरंत करती है।

    शुक्ला ने मजाक में कहा कि उनकी आखिरी तस्वीर में सही दिशा दिख रही है, जबकि वे दीवार पर टिककर काम कर रहे थे। उन्होंने लिखा दीवार पर चिपककर विज्ञान करना वाकई अनोखा अनुभव है और यह सिर्फ अंतरिक्ष में ही संभव है।

    यह भी पढ़ें- 'अंतरिक्ष से पृथ्वी पर कोई सीमा दिखती', शुभांशु शुक्ला की यह बात पढ़ेंगे बच्चे; NCERT ने कोर्स में किया शामिल