'आज धरा के भाग्य खुले हैं, पावन बेला आई....', दिल्ली की झांकी में बजा लखनऊ के वीरेंद्र वत्स का गीत
मूल रूप से सुलतानपुर कादीपुर के गोपालपुर सरायख्वाजा गांव के रहने वाले गीतकार वीरेंद्र वत्स इससे पहले यूपी की झांकी के लिए गीत लिख चुके हैं और 2021 और 2022 में झांकी को पहला स्थान भी मिल चुका है। उनका कहना है कि मेरा सौभाग्य है कि मेरे गीत को लगातार सरकार झांकी में शामिल किया गया। ये मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित हुई उत्तर प्रदेश की झांकी विकसित भारत-समृद्ध विरासत की थीम पर आधारित थी।
झांकी में प्रदेश की विरासत के साथ ही श्रीराम मंदिर स्वरूप पर स्थापित रामलला की सुंदर प्रतिमा को स्थान मिला। झांकी के दौरान इंदिरानगर निवासी वीरेंद्र वत्स के गीत एक बार फिर देश को प्रदेश के विकास की दास्तां बताते हुए नजर आए।
उनके लिखे गीत को सौमी शैलेश और मनीषा ने स्वर दिया है तो राजेश सोनी ने संगीत से सजाया है। गीत की पंक्तियां आज धरा के भाग्य खुले हैं, पावन बेला आई, रामलला ने जन्म लिया है, घर-घर बजे बधाई, यहां कुंभ की छटा देखकर, दुनिया जय-जय बोले, नए उद्यमों ने विकास के नए रास्ते खोले, छंटी धुंध उत्तर प्रदेश की, नई रोशनी छाई, नई रोशनी छाई...।
मूल रूप से सुलतानपुर कादीपुर के गोपालपुर सरायख्वाजा गांव के रहने वाले गीतकार वीरेंद्र वत्स इससे पहले यूपी की झांकी के लिए गीत लिख चुके हैं और 2021 और 2022 में झांकी को पहला स्थान भी मिल चुका है। उनका कहना है कि मेरा सौभाग्य है कि मेरे गीत को लगातार सरकार झांकी में शामिल किया गया। विकास के पथ पर प्रदेश आगे बढ़ रहा है और उनके शब्दों में पिरोने की क्षमता को लोग पसंद करते हैं, यही मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
कब कौन सा गीत लिखा
- 2023-सीता राम अयोध्या लौटे घर-घर आज दीवाली है...।
- 2022- काशी का गौरव लौटा है जब खुला भव्य गलियारा, विश्वनाथ से मिलकर पुलकित है गंगा की धारा...।
- 2021-जहां अयोध्या सिया राम की देती समरसता का संदेश, कला और संस्कृति की धरती धन्य धन्य उत्तर प्रदेश...।