...तो इसलिए बच्चों के यूपी बोर्ड परीक्षा में आ पाए अच्छे नंबर, पता चल गया सीक्रेट; आपके भी आ सकता है काम
यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 के नतीजे बताते हैं कि मोबाइल फोन के सीमित इस्तेमाल से छात्रों को सफलता मिली है। प्रयागराज की महक जायसवाल ने इंटरमीडिएट में टॉप ...और पढ़ें

अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज। अति का भला न बोलना अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना अति की भली न धूप। यह बात संचार क्रांति के साथ हर हाथ में मोबाइल पहुंचने के संदर्भ में सटीक बैठ रही है। बच्चे हों या बड़े। घर में हों या सड़क पर सभी जगहों पर लोग मोबाइल में स्क्रीन स्क्रोल करते नजर आते हैं। इसका दुष्परिणाम स्वास्थ्य से लेकर मानिसक स्तर तक के प्रभावित होने के रूप में दिखाई दे रहा है।
विद्यार्थियों की पढ़ाई भी इसकी गिरफ्त में हैं। यूपी बोर्ड के नतीजों को देखें तो प्रत्येक सफल मेधावी ने मोबाइल का सीमित प्रयोग किया। यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट में प्रदेश में टाप कर प्रयाग का मान बढ़ाने वाली महक जायसवाल ने बताया कि उसकी सफलता के पीछे बहुत हद तक इंटरनेट मीडिया से दूरी होना भी है।
हाईस्कूल की जिला सूची में 94.5 प्रतिशत अंक के साथ आठवां स्थान आरडीएम इंटर कालेज की छात्रा कशिश ने प्राप्त किया है। प्रतिदिन वह चार से पांच घंटे पढ़ती हैं। कहती हैं कि मोबाइल का प्रयोग नहीं करते हैं। सोशल मीडिया के किसी प्लेटफार्म पर नहीं हैं। इसी सूची में तीसरे पायदान पर रहने वाले आदित्य केसरी ने हाई स्कूल में 96.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। गोपाल विद्यालय इंटर कालेज के विद्यार्थी हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके आदर्श हैं। मोबाइल के प्रयोग को वह पढ़ाई में बाधा मानते हैं। पांचवें स्थान पर रहे शिवम सिंह ने 95.67 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है। कहते हैं, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म विद्यार्थियों के लिए समय की बर्बादी हैं। गोपाल विद्यालय इंटर कालेज के छात्र अभय शुक्ल ने भी हाई स्कूल में 94.83 प्रतिशत अंक प्राप्त करके जिले में सातवां स्थान प्राप्त किया है।
सिर्फ इसलिए करते हैं मोबाइल का इस्तेमाल
मोबाइल का प्रयोग वह सिर्फ यू ट्यूब पर शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को समझने के लिए करते हैं। सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर वह नहीं हैं। इसी विद्यालय के छात्र शिवांशु प्रजापति ने 94.70 प्रतिशत अंक प्राप्त करके हाई स्कूल की मेरिट लिस्ट में दसवां स्थान पाया है।
कहते हैं मोबाइल का प्रयोग करने की जगह अधिक से अधिक किताबों के बीच रहने का लाभ मिला है। शिव जियावन इंटर कालेज लेडियारी की छात्रा दिव्या भुर्तिया ने हाई स्कूल में जिले में छठवां स्थान हासिल किया। आइएएस अफसर बनने की ललक है। इंस्टाग्राम या रील बनाने का उन्होंने कभी प्रयास नहीं किया।
चौधरी जगदेव सिंह इंटर कालेज टीकर की छात्रा यामिनी शुक्ला ने 95.50 प्रतिशत अंक प्राप्त करके हाई स्कूल परीक्षा में जिले की सूची में आठवां स्थान प्राप्त किया है। कहती हैं, मोबाइल ध्यान भंग करता है। शुरू में कुछ दिन मोबाइल चलाया था तब हमेशा उसी की तरफ ध्यान लगा रहता था। बाद में घर के लोगों ने मना किया तो छोड़ दिया। उसके बाद मेरी याद्दाश्त भी ठीक हो गई।
मनोविज्ञानी बोले, मोबाइल की लत छूटी तो पढ़ाई सुधरी
मनोविज्ञानशाला के मनोविज्ञानी डा. राजकुमार राय बताते हैं कि परीक्षा के पूर्व प्रतिदिन दस से 12 मामले ऐसे आते थे, जिनमें बच्चे चिड़चिड़ापन, याद न होना, पढ़ाई में मन न लगना, नींद न आने की शिकायत करते थे। सभी को मोबाइल का प्रयोग न करने की हिदायत दी गई थी। कई विद्यार्थी निरंतर संपर्क में रहे। उनकी काउंसलिंग की गई। माता पिता ने भी सतर्कता बरती जिससे मोबाइल की लत छूट गई।

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