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    यूपी में स्मार्ट प्रीपेड मीटर से सात प्रतिशत तक महंगी हो सकती है बिजली, पावर कारपोरेशन ने आयोग में दाखिल किया प्रस्ताव

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 10:57 PM (IST)

    मौजूदा बिजली उपभोक्ताओं के यहां भले ही मुफ्त में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं, लेकिन उसके एवज में छह से सात प्रतिशत तक बिजली महंगी हो सकती है। ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मौजूदा बिजली उपभोक्ताओं के यहां भले ही मुफ्त में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं, लेकिन उसके एवज में छह से सात प्रतिशत तक बिजली महंगी हो सकती है। विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर पावर कारपोरेशऩ प्रबंधन स्मार्ट मीटर पर आने वाले खर्च का बोझ टैरिफ के जरिए उपभोक्ताओं से वसूलना चाहता है। हालांकि, भारत सरकार की एडवाइजरी के जरिए कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा दाखिल किए गए प्रस्ताव का विरोध करते हुए उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद भी आयोग पहुंचा है।

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    परिषद ने भी प्रस्ताव दाखिल कर आयोग से कारपोरेशन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज करने के साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर के नाम पर बिजली दरों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी न होने देने की मांग की है।

    पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार की ओर से आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया गया है। कारपोरेशन के प्रस्ताव की भनक लगने पर परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात की।

    प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहा कि कारपोरेशन जिस एडवाइजरी के आधार पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालना चाहता है वह गलत है क्योंकि सितंबर 2023 में भारत सरकार ने ही स्पष्ट आदेश जारी किया था कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का कोई भी खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि कारपोरेशन के वर्ष 2026–27 के बिजली दर प्रस्ताव में 3837 करोड़ रुपये स्मार्ट प्रीपेड मीटर के शामिल हैं। यदि आयोग संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति देता है स्मार्ट प्रीपेड मीटर से ही छह से सात प्रतिशत बिजली महंगी हो जाएगी।

    वर्मा ने बताया कि आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगने के बाद प्रति मीटर 18 से 40 रुपये तक का वित्तीय लाभ होगा न कि घाटा। इसके बावजूद पावर कारपोरेशन द्वारा उपभोक्ताओं पर पूरा खर्च डालने का प्रयास किया जा रहा है।

    वर्मा ने कहा कि एक तरफ ऊर्जा मंत्री एके शर्मा विधानसभा में कहते हैं कि पुराने मीटर के बदले जाने पर मौजूदा उपभोक्ता से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा दूसरी तरफ कारपोरेशन इस तरह का प्रस्ताव आयोग में दाखिल करता है। यह उपभोक्ताओं के साथ अन्याय और विश्वासघात है।