यूपी में स्मार्ट मीटरों की पारदर्शिता पर उठे सवाल, उपभोक्ता परिषद ने की चेक मीटरों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश में लगाए गए स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। इन मीटरों के तेज चलने से उपभोक्ताओं में बढ़ रहे असंतोष व भ्रम को देखते हुए मांग की है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन स्मार्ट मीटरों के साथ जहां भी चेक मीटर लगाए गए हैं, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करे। इसके साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की कार्यक्षमता की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश में लगाए गए स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। इन मीटरों के तेज चलने से उपभोक्ताओं में बढ़ रहे असंतोष व भ्रम को देखते हुए मांग की है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन स्मार्ट मीटरों के साथ जहां भी चेक मीटर लगाए गए हैं, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करे। इसके साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की कार्यक्षमता की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि भारत सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ पांच प्रतिशत चेक मीटर लगाने की व्यवस्था इसीलिए दी है जिससे उपभोक्ताओं में स्मार्ट मीटर की विश्वसनीयता रहे। चेक मीटर का मिलान सार्वजनिक नहीं करने से बिजली कंपनियों की कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं और उपभोक्ता भ्रम की स्थिति में हैं।
उन्होंने बताया है कि प्रदेश में अब तक लगभग 44 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। दो लाख से अधिक चेक मीटर भी स्थापित किए गए हैं। आज तक इन चेक मीटरों की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। उपभोक्ता अधिक रीडिंग आने की शिकायतें कर रहे हैं।
लगभग 99 प्रतिशत मामलों में स्मार्ट मीटर की रीडिंग चेक मीटर की तुलना में अधिक पाई गई है। एक भी ऐसा उदाहरण सामने नहीं आया है जिसमें स्मार्ट मीटर की रीडिंग चेक मीटर से कम हो। यह जांच का विषय है। बताया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर बनाने वाली कंपनियों को किसी भी प्रकार की जवाबदेही से मुक्त रखा गया है।

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