स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्यता की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग, उपभोक्ता परिषद ने PM व ऊर्जा मंत्री को लिखा पत्र
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। परिषद ने प्रधानमंत्री और ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतों, मीटरों में त्रुटियों और गलत बिलिंग जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है। परिषद ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए जांच कराने का आग्रह किया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को अनिवार्य किए जाने की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
उपभोक्ताओं को पोस्टपेड अथवा प्रीपेड मीटर का विकल्प चुनने की सुविधा बहाल करने के साथ ही स्मार्ट मीटर के लिए 6016 रुपये उपभोक्ताओं से वसूलने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग भी किया गया है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पत्र के माध्यम से पीएम और ऊर्जा मंत्री को अवगत कराया है कि लोकसभा द्वारा पारित कानून का उल्लंघन करते हुए यूपी में सभी विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर बिना विकल्प दिए लगाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत प्रदेश के सभी जिलों में स्मार्ट मीटर की वजह से बिजली कनेक्शन लेने का खर्च छह गुणा तक बढ़ गया है।
भारत सरकार ने आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदकर उपभोक्ताओं के परिसर में लगे पुराने मीटर के स्थान पर मुफ्त में लगाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में नए कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर के नाम पर 6016 रुपये वसूला जा रहा है।
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