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    योग मुद्रा में मिला 1200 साल पुराना कंकाल, जब वैज्ञानिकों ने किया DNA टेस्ट तो सभी रह गए हैरान

    Updated: Wed, 26 Mar 2025 09:05 PM (IST)

    गुजरात के वडनगर में 1200 साल पुराना कंकाल योग मुद्रा में मिला जिससे यह स्थल प्राचीन बौद्ध अध्ययन और योग केंद्र होने का संकेत देता है। लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान में डॉ. नीरज राय के नेतृत्व में इसकी डीएनए जांच हो रही है। शोध से पता चला कि वडनगर सदियों से बसा रहा और यहां सेंट्रल एशिया समेत विभिन्न स्थानों के लोग आते-जाते थे।

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    योग मुद्रा में मिला 1200 साल पुराना कंकाल - जागरण ग्राफिक्स।

    विवेक राव,  लखनऊ। गुजरात के वडनगर में हाल ही में 1,200 वर्ष पुराना एक कंकाल योग मुद्रा में मिला, जिससे इतिहासकारों और विज्ञानियों के बीच उत्सुकता बढ़ गई है। इस कंकाल का डीएनए परीक्षण बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान लखनऊ में वरिष्ठ डीएनए विज्ञानी डा. नीरज राय के नेतृत्व में किया गया। परीक्षण से यह पता चल रहा है कि वडनगर हजारों वर्ष से मानव बसावट कभी खत्म नहीं हुई।

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    यह प्राचीन समय में बौद्ध धर्म के अध्ययन केंद्र के साथ व्यापार का केंद्र भी रहा था, बल्कि यहां दूर-दराज के लोग भी आकर बसते थे। वडनगर केवल गुजरात का एक प्राचीन नगर ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मस्थान भी है। यहां पिछले 10 वर्ष से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का खनन कार्य चल रहा है।

    खनन में मिले कई कंकाल

    खनन में 1,200 से 2,000 वर्ष पुराने कंकाल मिले हैं। इन कंकालों के डीएनए का परीक्षण लखनऊ में किया गया है। डीएनए परीक्षण करने वाले डा. नीरज राय के अनुसार, वडनगर से मिले कंकालों में सबसे अधिक डीएनए दांत और कान की हड्डी के पास से लिए गए। इसमें एक महिला का 2,000 साल पुराना कंकाल भी है।

    कुछ कंकाल स्थानीय हैं, तो कुछ दूसरे प्रदेश के हैं। योग मुद्रा में कंकाल का मिलना यह दर्शाता है कि यह स्थल कभी बौद्ध धर्म और योग साधना का केंद्र रहा होगा। डीएनए परीक्षण से यह भी पता चला कि यहां भारत के अलग-अलग राज्यों और सेंट्रल एशिया के लोग भी आते-जाते थे।

    कंकाल की कार्बन डेटिंग और अन्य वैज्ञानिक परीक्षण किए जा रहे हैं। अगले एक महीने में विस्तृत रिपोर्ट आने की उम्मीद है। यह खोज भारतीय इतिहास में एक नई कड़ी जोड़ सकती है और प्राचीन समाज की जीवनशैली को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकती है। 

    पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते हैं डीएन

    डा. नीरज राय के अनुसार, भारतीय परिदृश्य में इंसान के कंकाल में डीएनए तीन से चार हजार वर्षों तक सुरक्षित रहता है। ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों, जैसे साइबेरिया में, यह दस लाख साल तक भी संरक्षित रह सकता है। हर व्यक्ति के डीएनए में कुछ विशेष जीन मार्कर होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते रहते हैं।

    समय के साथ डीएनए में छोटे छोटे परिवर्तन (म्यूटेशन) होते रहते हैं। कंकाल या जीवाश्म से डीएनए निकालकर यह पता लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति कितने वर्ष पहले जीवित था। 95 प्रतिशत डीएनए सभी मनुष्यों में समान होता है, पांच प्रतिशत डीएनए से ही पता चलता है कि संबंधित किस समूह या भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा हो सकता है।