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    विवादित भूमि खुद बयां करती है हकीकत, रिपोर्ट में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के प्रचुर साक्ष्य Ayodhya News

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 29 Sep 2019 07:12 AM (IST)

    अयोध्या विवाद एएसआइ रिपोर्ट में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के प्रचुर साक्ष्य। ...और पढ़ें

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    विवादित भूमि खुद बयां करती है हकीकत, रिपोर्ट में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के प्रचुर साक्ष्य Ayodhya News

    अयोध्या [रघुवरशरण]। अयोध्या मामले में जिस एएसआइ की रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष असमंजस में है, उस रिपोर्ट से विवादित भूमि पर मंदिर होने के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। उत्खनन में सजावटी ईंटें, दैवीय युगल, आमलक, द्वार चौखट, जल निकासी का नाला, ईंटों के गोलाकार मंदिर के अवशेष, पिलर बेस आदि ऐसे अहम साक्ष्य मिले हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि 1527 में बाबर के आदेश पर उसके सेनापति मीरबाकी ने जिस स्थल पर मस्जिद का निर्माण कराया था, वहां मंदिर था। 

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    उत्खनन में जलाभिषेक के जल निकासी के लिए बनाया गया मकर मुख नाला और गोलाकार मंदिर मिलने की पुष्टि हुई है। यह सातवीं से दशवीं शताब्दी के बीच का माना गया है। 

    इसी इमारत के भग्नावशेष पर 16वीं सदी में विवादित इमारत यानी बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया। विवादित इमारत के ठीक नीचे इमारत का आकार 50 गुणा 30 मीटर था। इसके 50 खंभों के आधार मिले हैं। इसके केंद्र ङ्क्षबदु के ठीक ऊपर विवादित मस्जिद के बीच का गुंबद था। उत्खनन में मिले आमलक की व्याख्या करते हुए प्रसिद्ध पुरातत्वविद् केके मोहम्मद की मान्यता है कि उत्तर भारत के मंदिरों में शिखर के साथ आमलक लगाए जाने की परंपरा थी और इससे सिद्ध होता है कि उस स्थल पर मंदिर था।  

    विष्णुहरि शिलालेख से भी होती है मंदिर की पुष्टि 

    एएसआइ की रिपोर्ट में 11-12वीं सदी के बीच निर्मित जिस इमारत के भग्नावशेष पर विवादित इमारत निर्मित होने की बात कही जाती है, उसका समीकरण ढांचा ध्वंस के समय मिले विष्णुहरि शिलालेख से भी स्थापित होता है। इस पर उत्कीर्ण 20 पंक्तियों के विवरण से ज्ञात होता है कि नयचंद्र ने गोङ्क्षवदचंद्र के प्रसाद से अयोध्या का राज्य प्राप्त किया और भव्य मंदिर बनवाया। 

    साकेत महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कविता ङ्क्षसह कहती हैं, कि विक्रमादित्य के करीब एक हजार साल बाद रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को अयोध्या में शासन करने वाले गहड़वाल वंशीय राजा ने नया स्वरूप दिया था।