यूपी विधान सभा में उठा एसआईआर का मुद्दा, विपक्ष ने बीएलओ की मौत पर सरकार को घेरा
शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को विधान सभा में विपक्ष ने मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान का मुद्दा उठाया। कांग्रेस व सप ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को विधान सभा में विपक्ष ने मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान का मुद्दा उठाया। कांग्रेस व सपा ने कहा कि विपक्ष को कमजोर करने का हथियार एसआइआर है। इसके तहत गरीब, दलित व पिछड़े मतदाताओं के वोट काटे जा रहे हैं।
इस अभियान के लिए इतना दबाव बनाया जा रहा है कि अब तक 10 बीएलओ की मौत हो चुकी है। सरकार की ओर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जिनकी भी मौत हुई है उनके स्वजन के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। मौत किस वजह से हुई यह तो जांच का विषय है। एसआइआर जब तक चल रहा है बीएलओ से लेकर सारे कर्मी चुनाव आयोग के दायरे में आते हैं।
कांग्रेस की आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि एसआइआर के दबाव में बीएलओ की मौत हुई है और सरकार ने कोई संज्ञान तक नहीं लिया। एसआइआर के बारे में बीएलओ को जानकारी तक नहीं दी गई। नवविवाहित महिलाओं के सबसे ज्यादा नाम कटे हैं। जिन बीएलओ की मौत हुई है उनके परिवार के सदस्यों को सरकार नौकरी देगी या नहीं। उन्होंने 50-50 लाख रुपये मुआवजा देने की भी मांग की।
वहीं, सपा के मनोज पारस, गौरव कुमार, धर्मराज सिंह यादव व मो. हसन रूमी ने जाति व धर्म के नाम पर वोट न काटे जाएं। भाजपा जो चाह रही है चुनाव आयोग एसआइआर में वैसा ही काम कर रहा है। सरकार की मंशा इसे लेकर साफ नहीं है। विपक्ष ने एसआइआर की समय सीमा बढ़ाने की भी मांग की।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि यह मामला चुनाव आयोग के दायरे में आता है। जिला निर्वाचन अधिकारी से लेकर नीचे तक के अधिकारी चुनाव आयोग की परिधि में आते हैं। उन्होंने विपक्ष पर व्यंग्य करते हुए कहा कि दर्द तो घुटने का है और इलाज दांत के डाक्टर से कराने आए हैं। हमारी पूरी संवेदना उन परिवारों के साथ है जिनके अपनों का असामयिक निधन हुआ है। जहां तक स्वजन की नौकरी का सवाल है तो सरकारी कर्मचारियों के नियमों की तरह इन्हें लाभ मिलेगा।

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