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    SIR in UP: समाजवादी पार्टी टिकट वितरण में एसआईआर पर नेताओं की सक्रियता को भी टिकट का आधार बनाएगी

    By Dilip Sharma Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Thu, 11 Dec 2025 07:36 PM (IST)

    Samajwadi Party is active in SIR: उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में चार नवंबर से एसआइआर की प्रक्रिया शुरू हुई है। सपा अपनी रणनीति के हिसाब से इसमें भ ...और पढ़ें

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     निष्क्रिय नेता भी सक्रियता दिखाने में जुटे

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: समाजवादी पार्टीमतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) में सक्रियता के सहारे अपनी चुनावी तैयारी का आधार तैयार करने में जुट गई है।

    लगातार शिकायतों और सरकार से लेकर चुनाव आयोग तक की मंशा पर सवालों से अपने पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश हो रही है और मतदाताओं तक पहुंच भी बनाई जा रही है। इसमें पार्टी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक की सक्रियता को भी बारीकी से परखा जा रहा है। पार्टी इसके सहारे बूथ स्तर तक संगठन की पकड़ को भी जांच रही है। यह भी साफ कर दिया गया है कि आने वाले चुनावों में टिकट वितरण के लिए नेताओं की एसआइआर में निभाई गई भूमिका को भी एक पैमाना माना जाएगा।

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    उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में चार नवंबर से एसआइआर की प्रक्रिया शुरू हुई है। सपा अपनी रणनीति के हिसाब से इसमें भूमिका निभाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। अन्य विपक्षी दलों के मुकाबले सपा ने सबसे ज्यादा 1,12,309 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) बनाए हैं। इनके साथ बूथ कमेटियों से लेकर जिला तक के नेताओं को लगाया गया है। ये अपने समर्थक मतदाताओं के गणना प्रपत्र भरवाने, मतदाता सूचियों की स्थिति व बीएलओ की सक्रियता की निगरानी आदि का काम कर रहे हैं।

    हर रोज जिलों से पार्टी मुख्यालय को शिकायतों-समस्याओं की और किए गए काम की जानकारी भेजी जा रही है। पार्टी अपने स्तर से भी जिलों से रिपोर्ट ले रही है। इसके आधार पर ही हर रोज अनियमिताओं और गड़बड़ी की शिकायत मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दी जा रही हैं। इनमें जिलों, विधानसभा क्षेत्रों और मतदेय स्थलों तक का विशेष तौर पर उल्लेख किया जा रहा है। इससे भी सपा की एसआइआर में सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

    वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को बहुत सी सीटों पर नजदीकी अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा था और पार्टी अगले चुनाव के लिए इससे निपटने की तैयारी पर काम कर रही है। कोशिश है कि पार्टी के वोट यहां कम न होने पाएं। इसके लिए ही जिला स्तर पर रोजाना रिपोर्टिंग और बूथवार सक्रियता पर नियमित समीक्षा की जा रही है।

    पार्टी का मानना है कि इस समय जितनी सक्रियता उसके नेता-कार्यकर्ता दिखाएं और जनता के संपर्क में रहेंगे, उतना ही उसे आने वाले दिनों में लाभ होगा। इसीलिए यह संदेश दे दिया गया है कि इस बार प्रत्याशी चयन में सिर्फ पुराने समीकरण, जातीय गणित ही काम नहीं आएगा, इस समय किया जा रहा प्रदर्शन भी देखा जाएगा। सपा की इस रणनीति का प्रभाव तो बाद में नजर आएगा, परंतु फिलहाल संभावित पार्टी के दावेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी है और निष्क्रिय नेता भी सक्रियता दिखाने में जुटे हैं।