Ramlila in Ayodhya: गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने अभिनय में भी मनवाया लोहा, जीवंत किया शबरी का किरदार
शबरी की भूमिका में प्रख्यात गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपने अभिनय का भी लोहा मनवा रही होती हैं और श्रीराम से संवाद के दौरान उनकी यह प्रतिभा और चमक के साथ प्रस्तुत होती है। शबरी की भूमिका को मालिनी अवस्थी ने अपने अभिनय से जीवंत कर दिया।

अयोध्या, संवाद सूत्र। लक्ष्मण किला परिसर में सितारों से सज्जित रामलीला के छठवें दिन सरयू के समानांतर भक्ति की धारा प्रवाहित हो रही होती है। माता सीता की खोज में श्रीराम एवं लक्ष्मण वन-वन भटक रहे होते हैं। उधर शबरी अपने आश्रम में चिर काल से श्रीराम की प्रतीक्षा करते हुए भक्ति में लीन होती हैं और इसी लीनता में उनके कंठ से यह स्वर फूट रहे होते हैं- बसो रे मोरे नैनन में रघुवीर/ मन ये मेरा अवधपुरी है/ तन है सरयू तीर...। इसी बीच शबरी के आश्रम में बच्चियों का प्रवेश होता है और वे हांफती हुई बताती हैं, दादी मां! श्रीरामचंद्र जी एवं लक्ष्मण जी पधार रहे हैं।
शबरी को इस सूचना पर सहसा विश्वास नहीं होता और वे कहती हैं कि जो योगियों के ध्यान में नहीं आते, क्या वे मुझ कंगालिनी की कुटिया पर आएंगे। अगले पल वे श्रीराम और लक्ष्मण के स्वागत की चिंता में दिखती हैं। सोचती हैं, मेरे पास पूजा के लिए चंदन नहीं और न पुष्प ही हैं। शबरी इसी उधेड़-बुन में होती हैं, तब तक श्रीराम और लक्ष्मण उनके आश्रम में पधार चुके होते हैं। प्रेममग्न शबरी श्रीराम के चरणों में गिर जाती हैं। पृष्ठ में शबरी की भक्ति परिभाषित करती रामचरितमानस की यह प्रतिनिधि पंक्ति गूंजती है- प्रेम मगन मुख बचन न आवा/ पुनि पुनि पद सरोज सिर नावा/ सादर जल जै चरन पखारे/ पुनि सुंदर आसन बैठारे।
शबरी की भूमिका में प्रख्यात गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपने अभिनय का भी लोहा मनवा रही होती हैं और श्रीराम से संवाद के दौरान उनकी यह प्रतिभा और चमक के साथ प्रस्तुत होती है। भक्ति अकिंचित-अहंकार शून्य होती है और इस तथ्य को शबरी की भूमिका में मालिनी बखूबी जीवंत कर रही होती हैं। शबरी की भूमिका में वे स्वयं को संयत कर श्रीराम के सम्मुख संवाद के लिए प्रस्तुत होती हैं। यह कहते हुए, हे प्रभु आप बड़े दयालु हो, एक अछूत को इतना मान दे रहे हो।
श्रीराम की भूमिका में सोनू डागर श्रीराम की छवि के अनुरूप भक्त वत्सल और शील एवं औदार्य की प्रतिमूर्ति नजर आते हैं। कहते हैं, हे शबरी मैं जाति-पांति के बंधन में नहीं हूं और जो मेरी नौ प्रकार की भक्ति में से एक को भी पा लेता है, वह परमधाम को जाता है। तुम्हें मेरी भक्ति प्राप्त होगी, यही मेरे दर्शन का फल है। तदुपरांत श्रीराम सहजता का परिचय देते हुए कहते हैं, अच्छा शबरी भूख लगी है और कुछ खाने को हो तो लाओ। साध्य के सम्मुख संकोच में लिपटी शबरी पूरी तेजी से श्रीराम के सामने बेर लाकर प्रस्तुत करती हैं और श्रीराम को स्वादिष्ट बेर मिलें, यह सुनिश्चित करने के लिए वे बेर पहले चखती हैं।
शबरी के जूठे बेर लक्ष्मण तो फेंक देते हैं, किंतु श्रीराम सहज स्वीकार करते हैं, और कहते हैं, यह बेर बहुत मीठे और स्वादिष्ट हैं। श्रीराम के पूछने पर शबरी माता सीता की खोज में श्रीराम को पंपा सरोवर जाने और वहां सुग्रीव से मित्रता होने की भविष्यवाणी करती हैं। ...तो श्रीराम कृतज्ञता स्वरूप शबरी को अपने चरणों की अनन्य भक्ति प्रदान करते हैं। इससे पूर्व सीता हरण एवं जटायु के अंतिम संस्कार का मंचन आंखें नम करने वाला रहा।
जगमगा रही अयोध्या : मालिनी
लक्ष्मण किला परिसर में बालीवुड के सितारों से सज्जित रामलीला में शबरी की भूमिका निभाने आईं प्रख्यात गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि आज अयोध्या जगमगा रही है। उन्होंने अयोध्या को विशेष सम्मान देने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की। कहाकि अयोध्या की साफ-सफाई और पर्यटन की ²ष्टि से साज-सज्जा आकर्षित करनेे लगी है। उन्होंने सरयू जल की स्व'छता का भी जिक्र किया।
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