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    उत्तर प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में जबरदस्त गिरावट, प्रदेश का लिंगानुपात भी पहले से बढ़कर 912

    Significant decline in Maternal Mortality Rate नवजात मृत्य दर वर्ष 2020 में 28 से घटकर वर्ष 2021 में 26 रह गया है जबकि शिशु मृत्यु दर वर्ष 2020 में 38 से घटकर वर्ष 2021 में 37 रह गई है। इसके अलावा प्रदेश का लिंगानुपात भी पहले से बढ़कर 912 हो गया है जो वर्ष 2020 में यह 908 था।

    By Shobhit Srivastava Edited By: Dharmendra Pandey Updated: Thu, 15 May 2025 09:02 PM (IST)
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    नवजात मृत्य दर वर्ष 2020 में 28 से घटकर 26

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के निरंतर प्रयासों के कारण मातृ मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2019- 21 के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 151 है जो कि 2018- 20 में 167 थी। इसके साथ ही नवजात मृत्यु दर में भी दो अंकों की और शिशु मृत्यु दर में एक अंक की कमी आई है।

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    महापंजीयक की हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। सैपंल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट प्रत्येक दो वर्ष के अंतराल पर जारी की जाती है। कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण वर्ष 2019-21 की रिपोर्ट सातमई को जारी की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

    लिंगानुपात में वृद्धि, नवजात और शिशु मृत्यु दर में भी दर्ज की गई है गिरावट

    महापंजीयन की सैंपल सर्वे 2019-21 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु दर वर्ष 2018-20 में 167 की तुलना में कम हो कर 2019-21 में 151 हो गई है। नवजात मृत्य दर वर्ष 2020 में 28 से घटकर वर्ष 2021 में 26 रह गया है, जबकि शिशु मृत्यु दर वर्ष 2020 में 38 से घटकर वर्ष 2021 में 37 रह गई है। इसके अलावा प्रदेश का लिंगानुपात भी पहले से बढ़कर 912 हो गया है, जो वर्ष 2020 में यह 908 था।

    कोशिश है कोई भी मां जिंदगी देने के दौरान अपनी जान न गंवाए

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक डॉ पिंकी जोवेल ने कहा कि हमारी पूरी टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं। आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम व चिकित्सा अधिकारियों ने ज़मीनी स्तर पर सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने का कार्य किया है। कोशिश है कि कोई भी मां जिंदगी देने के दौरान अपनी जान न गंवाए।

    मिशन निदेशक ने बताया कि एमएमआर, एनएनएमआर और आईएमआर में आई इस कमी में शुरुआती 1000 दिनों तक मां और बच्चे की देखभाल की रणनीति कारगर साबित हुई है। इसके अलावा 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के रिस्पॉन्स टाइम को कम कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया गया है। नवजात एवं बाल स्वास्थ्य की सेवाओं को भी बेहतर किया जा रहा है और आगे भी किया जायेगा| इसके तहत नवजात में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सीएचसी और जिला अस्पतालों में स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट स्थापित की गई हैं |