Shubhanshu Shukla: अपने स्कूल पहुंचकर अतीत में खो गए शुभांशु, चहेरे पर मुस्कान; आंखों में दिखी नमी
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला लखनऊ में अपने पुराने स्कूल पहुंचे और बचपन की यादों में खो गए। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मेहनत से हर कोई आकाश छू सकता है। इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में उन्होंने अंतरिक्ष के अनुभव साझा किए। अतिथि गृह में उन्होंने सादगी से जीवन बिताया और छात्रों को विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
गौरी त्रिवेदी, लखनऊ। अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अपने शहर में लखनऊ में दूसरा दिन भावनाओं से भरा रहा। मंगलवार की सुबह जब वह अपने विद्यालय सिटी मांन्टेसरी स्कूल, अलीगंज शाखा पहुंचे तो मानो समय वहीं ठहर गया। अतीत में खो गए। वही कैंपस, वही गलियारे, वही क्लासरूम और वही विशाल खेल का मैदान…
सब कुछ देखकर शुभांशु के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में हल्की-सी नमी उतर आई। उन्होंने कहा कि इन्हीं दीवारों के बीच उन्होंने अपने सपनों को उड़ान देना सीखा था। एक-एक कोना उन्हें बचपन की यादों में खींच ले गया जहां कभी दोस्तों संग घंटों खेला करते थे, जहां अध्यापकों ने उन्हें बड़े सपनों की राह दिखाई।
कक्षा में बैठे बच्चों से मुखातिब होते हुए शुभांशु ने बेहद आत्मीय लहजे में कहा आप सब भी आकाश को छू सकते हो, यदि आप सपनों को थामकर मेहनत करते चलो। जब मैं यहां पढ़ता था, तब मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन अंतरिक्ष में कदम रखूंगा। पर निरंतर प्रयास और धैर्य ने यह संभव किया।
उनके शब्द सुनकर बच्चे मंत्रमुग्ध हो गए। बच्चों ने भी स्पेस-थीम्ड परिधानों में कार्यक्रम प्रस्तुत किया और विद्यालय की ओर से लगी प्रदर्शनी में अपने-अपने प्रोजेक्ट दिखाए। शुभांशु ने सबकी उत्सुकता देखकर उनकी तारीफ की और उन्हें नए आयामों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।
इसके बाद शुभांशु इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला पहुंचे। वहां लगी प्रदर्शनी को देखते हुए उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष की दुनिया चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन उससे कहीं अधिक रोमांचक भी। उन्होंने छात्रों से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब कोई यान अंतरिक्ष की ओर बढ़ता है तो हर क्षण विज्ञान, धैर्य और तकनीक की कठिन परीक्षा होती है।
उन्होंने कहा वह क्षण अविस्मरणीय होता है जब आप पृथ्वी को अंतरिक्ष से नीले गोले के रूप में देखते हो। ऐसा लगता है मानो हम सब एक ही परिवार के हिस्से हैं। इस प्रेरक अनुभव ने बच्चों की आंखों में भी सपनों की चमक भर दी। शुभांशु ने प्रदर्शनियों में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया और कहा कि आप ही भारत के भविष्य के वैज्ञानिक हो, आपको और ऊंचाई तक पहुंचना है।
अतिथि गृह में शुभांशु की सादगी, काफी नहीं यह है मेरी राकेट फ्यूल बोले
सुरक्षा कारणों से उन्हें विशेष अतिथि गृह नैमिषारण्य में ठहराया गया है, जहां वह परिवार संग ठहरे हैं। नैमिषारण्य अतिथि गृह का वातावरण भी शुभांशु शुक्ला की मौजूदगी से विशेष बना हुआ है। सुरक्षा कर्मियों की कड़ी निगरानी के बीच जब अतिथि गृह के शेफ से बातचीत हुई तो उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया अभी मैं उनके लिए ब्लैक काफी लेकर जा रहा हूं।
उन्हें ब्लैक काफी बेहद पसंद है और दिन में कम से कम तीन बार लेते हैं। खास बात यह है कि वह काफी खुद ही बनाना पसंद करते हैं पानी गर्म करके, सादगी से। कल भी उन्होंने पनीर की सब्जी खाई थी और आज भी खाने में पनीर की डिश ही पसंद की। साथ में साधारण दाल, हरी सब्जी, रोटी और सलाद। कोई तामझाम नहीं, बस सादा भोजन और सादगी से जीना उन्हें अच्छा लगता है।
शेफ ने यह भी बताया कि शुभांशु हर छोटे से छोटे व्यक्ति का सम्मान करते हैं और कभी आदेशात्मक स्वर में बात नहीं करते। वह परिवार जैसा अपनापन दे देते हैं। जब काफी बनाते हैं, तो मजाक में कहते हैं ये मेरी राकेट फ्यूल है। इस सहजता और सादगी ने अतिथि गृह के स्टाफ को भी गहरे तक प्रभावित किया है।
सीएमएस अलीगंज के बच्चों से बातचीत
शुभांशु सर से मिलकर लगा कि सपने केवल किताबों तक सीमित नहीं रहते। उन्होंने बताया कि कड़ी मेहनत से हर ऊंचाई पाई जा सकती है। उनकी बातें सुनते ही आत्मविश्वास दोगुना हो गया। अब मेरा भी सपना है कि आकाश को छू लूं। -सिद्धांत सिंह
आज मुझे विश्वास हुआ कि अंतरिक्ष केवल फिल्मों की दुनिया नहीं है। सर ने कहा कि हर बच्चा अगर ठान ले तो वहां तक पहुंच सकता है। यह सुनकर मेरे अंदर भी जोश भर गया। अब मैं विज्ञान को अपना करियर बनाना चाहती हूँ। -सृष्टि, , सीएमएस अलीगंज
शुभांशु सर ने इतने सरल ढंग से अपने अनुभव बताए कि सब दिल में उतर गए। उन्होंने कहा कि असफलता भी सफलता की सीढ़ी होती है। यह सुनकर मुझे पढ़ाई में और मन लगाने की प्रेरणा मिली।अब मैं भी अपने सपनों को हकीकत बनाने की कोशिश करूंगी। -रव्याश्री सिंह, , सीएमएस अलीगंज
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