Millet Farming in UP : योगी आदित्यनाथ सरकार बाजरा किसानों को कर रही प्रोत्साहित, बाजरा है बहुउपयोगी
Yogi Adityanath Government is promoting Millet Farming बाजरा के उत्पाद मधुमेह के नियंत्रण हृदय के स्वास्थ्य सुधार हेतु उपयुक्त ग्लुटेन मात्रा कम पाये जाने के कारण पेट के रोगों से राहत दिलाने में सहयोग के साथ ही वर्तमान समय में मोटापा कम करने और वजन सुधार में भी लाभदायक है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : श्रीअन्न की प्रमुख फसल बाजरा का दायरा बढ़ाने को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद गंभीर है। बाजरा के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। इसके कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है।
उत्तर प्रदेश इसकी खेती के और विस्तार को लेकर नए उपाय करने के साथ किसानों को भी प्रोत्साहित कर रही है। बाजरा (श्रीअन्न) किसानों को सरकार अनुदान दिलाने के साथ इसके गुणों का व्यापक प्रचार-प्रसार भी कर रही है। जिससे किसान भी काफी प्रोत्साहित हो रहे हैं।
बाजरा के दानों में भरपूर पौष्टिकता
उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं एवं मक्का के बाद लगभग दस लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरा की खेती की जाती है। बाजरा के दानों में भरपूर पौष्टिकता होती है। विशेष रूप से फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बीकॉम्पलेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस एवं मैगनीज तत्वों के साथ एन्टीआक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है।
मधुमेह के नियंत्रण में भी लाभदायक
बाजरा के उत्पाद मधुमेह के नियंत्रण, हृदय के स्वास्थ्य सुधार हेतु उपयुक्त, ग्लुटेन मात्रा कम पाये जाने के कारण पेट के रोगों से राहत दिलाने में सहयोग के साथ ही वर्तमान समय में मोटापा कम करने और वजन सुधार में भी लाभदायक है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक शोध एवं तकनीकी विकास के कारण बाजरे के दानों से कई प्रकार की औषधियों का भी निर्माण किया जा रहा है।
कम वर्षा में भी की जा सकती है बाजरा की खेती
बाजरा की खेती अपेक्षाकृत कम वर्षा (400-500 मिमी) में भी की जा सकती है। वर्तमान में लगभग प्रदेश के 29 जनपदों में औसत से कम वर्षा पायी गयी है। जहां कम वर्षा के कारण धान की खेती नहीं की जा सकती, किसानों के लिए उन क्षेत्रों में बाजरा की फसल लेना लाभदायक सिद्ध होगा। बाजरा की फसल लगभग धान की असफल बुवाई की स्थिति में अगस्त माह के मध्य तक कर सकते हैं।
फसल अवधि अधिकतम 80-85 दिन
फसल की अवधि अधिकतम 80-85 दिन होने के कारण दस नवम्बर के पहले कटाई कर रबी की फसल की बुवाई समय से की जा सकती है। बाजरा की फसल से 25-30 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाती है, तो दूसरी तरफ धान की अपेक्षा लागत कम होने एवं बाजरा का बाजार मूल्य अधिक होने के कारण प्रति इकाई किसानों को अपेक्षाकृत अधिक लाभ की संभावना हो सकती है। बाजरा की संकर प्रजाति 86एम84, बायो-8145, एन0बी0एच0-5929 के साथ संकुल प्रजाति धनशक्ति की उत्पादन क्षमता 35-40 कुन्तल प्रति हेक्टेयर तक है।
बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही सरकार
योगी आदित्यनाथ सरकार राजकीय कृषि बीज भण्डारों के माध्यम से बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही है, जिससे किसानों की लागत कम हो जाती है, दूसरी तरफ सरकार द्वारा बाजरे की फसल वर्ष 2022-23 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा का क्रय किया जा रहा है।
इससे निःसंदेह ही किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होने से अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की संभावना बढ़ सकती है। कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि खरीफ के मौसम में भूमि की उपयुक्तता के अनुसार बाजरे की खेती कर सरकारी योजनाओं के माध्यम से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
धान की खेती के लिए अनुपयुक्त क्षेत्रों में हो सकती है बुवाई
प्रदेश में बहुत से क्षेत्रफल असमतल एवं वर्षा आधारित होने के कारण धान की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। ऐसी भूमि में भी बाजरा की खेती कर किसान अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं परंतु बुवाई से पूर्व भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए ट्राइकोडरमा, हारजीएनम 2 प्रतिशत पाउडर का 2.50 किग्रा की मात्रा से भूमि शोधन करना आवश्यक होता है।
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