शिवपाल के लिए बंद हो रहे सपा के दरवाजे, सेक्युलर मोर्चा बनायेंगे
देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार यानी मुलायम सिंह केकुनबे की जंग ऐसे मोड़ पर है, जहां से शिवपाल के लिए सपा के दरवाजे बंद होने शुरू हो गए हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। वर्चस्व के लिए देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार यानी मुलायम सिंह केकुनबे की जंग ऐसे मोड़ पर है, जहां से पूर्व मंत्री शिवपाल के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के दरवाजे बंद होने शुरू हो गए हैं। इसे भांपकर उन्होंने एक माह के अंदर सेक्युलर मोर्चा गठित करने का एलान किया है। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा और मुलायम सिंह की भूमिका क्या होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार में सितंबर 2016 से मुखर कलह में जनवरी 2017 में खेमेबंदी हो गई। एक ओर अखिलेश-प्रो.राम गोपाल हो गए, दूसरी ओर शिवपाल यादव थे। मुलायम कभी इधर और कभी उधर रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान कुनबे के अंदर से शिवपाल का विरोध हुआ और जब सपा चुनाव हारी तो शिवपाल ने कहा कि यह पार्टी नहीं, घमंड की हार है। इशारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर था, जुबानी वार बढ़ती चली गई। शिवपाल यादव ने 1 जनवरी 2017 का वादा याद दिलाते हुए अखिलेश से मुलायम सिंह के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मांगना शुरू कर दिया...तब राम गोपाल यादव ने फिर मोर्चा संभाला और इटावा में कहा कि शिवपाल तो सपा के सदस्य तक नहीं हैं, उनकी मांगों का कोई अर्थ नहीं है। अखिलेश अध्यक्ष पद नहीं छोड़ सकते। यह बात सपा में शिवपाल के लिए दरवाजे बंद होने जैसी थी, यह चर्चा होने लगी कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं, मगर इस पर विराम लगाते हुए बुधवार को उन्होंने कहा कि अगर एक माह के अंदर मुलायम को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद नहीं मिला, वह सेक्युलर मोर्चे के गठन करेंगे। हालांकि समाजवादी कुनबे को एकजुट करने का प्रयास न छोडऩे की बात भी कही। लेकिन वह यहीं नहीं रुके रामगोपाल यादव का नाम लिए बगैर उन्हें शकुनि बताया। कहा कि सपा के संविधान रचयिता शकुनि को गीता का पाठ पढऩे की जरूरत है। इन्हीं संविधान रचयिता ने लोकसभा चुनाव में टिकट बांटे थे, जिसमें पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। विधानसभा चुनाव में पार्टी 229 से घटकर 47 सीटों पर आ गई।
इटावा संवाददाता के मुताबिक, शिवपाल ने कहा कि जिले के थानों की हालत बेहद खराब है। भ्रष्ट अधिकारी सत्ता की सीधी भागीदारी में जब लिप्त होते हैं तब देश व प्रदेश का यही हाल होता है। हमें अपनी सरकार में भी ऐसे लोगों से जूझना पड़ा था। अब दो माह में योगी सरकार में भी यही हालात बन गए हैं। जसवंतनगर के थानों में निर्दोष लोगों को पुलिस पीट रही है और गुंडे उनके खिलाफ मुकदमा करा रहे हैं। हालांकि यह सब काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छा के विरुद्ध किया जा रहा है। वह लखनऊ जाकर उन्हें मामलों की पूरी जानकारी देंगे।