'बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री को फांसी की सजा देना गलत', यूपी में बोले UN के कार्यवाहक निदेशक
प्रो. वेसेलिन पोपोवस्की ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा को मानवाधिकारों का हनन बताया। उन्होंने बांग्लादेश के राजनीतिक हालातों पर चिंता जताई और कहा कि फांसी की सजा राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने बाल अधिकारों और बाल श्रम के खिलाफ सख्त कानून की वकालत की और संयुक्त राष्ट्र से इस दिशा में पहल करने का आग्रह किया।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा की घोषणा मानवाधिकारों का हनन है। बांग्लादेश में जो कुछ भी राजनीतिक हालात हैं, वह ठीक नहीं है और वहां की प्रधानमंत्री को फांसी की सजा देना राजनीति से प्रेरित है।
मानवाधिकार मेरा पसंदीदा विषय है जिस पर मैं काम कर रहा हूं। किसी दूसरे देश के बारे में बोल सकता हूं, क्यों कि मानवाधिकार पूरे विश्व में एक जैसा होना चाहिए। बुल्गारिया से आए यूनाइटेड नेशंस के सेंटर आफ स्टडी के कार्यवाहक निदेशक प्रो.वेसेलिन पोपोवस्की बोल रहे थे।
सीएमएस कानपुर रोड के प्रेक्षागृह में आयोजित मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि मेरे देश में फांसी की सजा का प्रावधान नहीं है। बुल्गारिया दक्षिण-पूर्वी यूरोप में स्थित है।दक्षिण में यूनान और तुर्की पश्चिम में सर्बिया के बावजूद मानवाधिकारों को लेकर संजीदगी है।
बाल अधिकारों और बाल श्रम को लेकर उनका कहना था कि इसके लिए विश्व स्तर पर सख्त कानून बनना चाहिए। मेरे देश में 18 साल के नीचे को पढ़ाई और फिर सेना में भेजा जाता था, लेकिन धीरे-धीरे अब यह बंद हो गया। दो दशक से हालात दूसरे देशों जैसे होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर कानून को और सख्त करने की जरूरत है।
इसके साथ ही आम लोगों के अंदर भी बच्चों के प्रति संवेदनाएं होनी चाहिए। वह ऐसे बच्चों को काम के बजाय शिक्षा की ओर जोड़ने का कार्य करें। मुख्य न्यायाधीशों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आने से बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला है। ऐसे आयोजन विश्व में शांति और सद्भाव कायम करने का कार्य करते हैं।

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