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    SGPGI Lucknow: ब्रेन स्ट्रोक के चार-पांच घंटे के अंदर एसजीपीजीआई पहुंचे तो दिमाग को बचाना संभव

    By Dharmendra PandeyEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sun, 21 Dec 2025 07:50 PM (IST)

    SGPGI Lucknow: इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रोफेसर विवेक कुमार सिंह ने यह जानकारी आईएसवीआईआर यूपी चैप्टर की ओर से आयोजित “करंट गाइडलाइंस ऑन स्ट्रोक ट्रीट ...और पढ़ें

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    संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई)

    जागरण संवाददाता, लखनऊः संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के इमरजेंसी विभाग में अत्याधुनिक स्ट्रोक यूनिट तैयार की गई है। ब्रेन स्ट्रोक पड़ने के चार से पांच घंटे के भीतर यदि मरीज को पीजीआई लाया जाता है, तो दिमाग को होने वाली गंभीर क्षति को काफी हद तक रोका जा सकता है। इसके लिए समर्पित न्यूरोलॉजिस्ट और इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट की टीम चौबीसों घंटे तैनात रहती है।

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    इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रोफेसर विवेक कुमार सिंह ने यह जानकारी आईएसवीआईआर यूपी चैप्टर की ओर से आयोजित “करंट गाइडलाइंस ऑन स्ट्रोक ट्रीटमेंट एंड कैरोटिड स्टेंटिंग” विषय पर हुई सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम के दौरान दी। उन्होंने बताया कि तीव्र इस्केमिक स्ट्रोक के इलाज में थ्रोम्बोलाइसिस और मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी अहम भूमिका निभाते हैं। समय पर इलाज शुरू होने से मरीज को गंभीर दिव्यांगता से बचाया जा सकता है।

    कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने डोर-टू-नीडल और डोर-टू-ग्रूव समय-सीमा के पालन पर जोर देते हुए कहा कि जितनी जल्दी रक्त प्रवाह बहाल किया जाता है, उतने ही बेहतर मरीज के नतीजे सामने आते हैं। सीएमई में एसजीपीजीआई की डॉ. विनिता एलिजाबेथ, डॉ. सूर्यकांत, केजीएमयू के डॉ. प्रवीन शर्मा, मेदांता के डॉ. गौरव, चंदन हॉस्पिटल के डॉ. रित्विज और कमांड हॉस्पिटल के डॉ. सोमनाथ पान ने स्ट्रोक प्रबंधन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए।

    कैरोटिड स्टेंटिंग पर आयोजित विशेष सत्र में मरीजों के चयन, जोखिम मूल्यांकन और नई ड्यूल एंटी-प्लेटलेट रणनीतियों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष डॉ. विवेक सिंह (एसजीपीजीआई) और सचिव डॉ. नितिन अरुण दीक्षित (केजीएमयू) ने वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार जताया।