SGPGI 26th Convocation: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने जताई इच्छा- मेडिकल कालेजों-अस्पतालों का हाथ थामे एसजीपीजीआइ
SGPGI 26th Convocation राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शुक्रवार को एसजीपीजीआइ के 26वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम में प्रथम महिला सविता ...और पढ़ें

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के पहले आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान संजय गांधी पीजीआइ का शुक्रवार को 26वां दीक्षा समारोह है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द हैं। यूपी यात्रा के दूसरे दिन राष्ट्रपति इस कार्यक्रम में पत्नी सविता कोविन्द के साथ पहुंचे। उन्होंने समारोह स्टूडेंट्स को उपाधियां भी दी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने इच्छा जताई है कि मेडिकल रिसर्च और टर्शियरी हेल्थ केयर में उत्कृष्टता हासिल करने वाला संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) विशेषज्ञ चिकित्सीय सेवाओं से वंचित मेडिकल कालेजों और अस्पतालों का हाथ थामकर उन्हें आगे बढ़ाए। चिकित्सकों को फरिश्ता बताते हुए संस्थान में शिक्षा ग्रहण कर उपाधियां प्राप्त करने वाले डाक्टरों का आह्वान किया कि वे बिना भेदभाव के मानवता की सेवा करने में अपने चिकित्सीय कौशल व ज्ञान का उपयोग करें। उन्हें यह भी बताया कि सिर्फ इमारतों और सुविधाओं से एसजीपीजीआइ जैसे विश्व स्तरीय संस्थान नहीं बनते, बल्कि इसके पीछे समर्पित डाक्टरों की वर्षों की मेहनत होती है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमें अभूतपूर्व तरीके से स्वास्थ्य सुविधाओं का महत्व समझाया है। हमें यह सोचना होगा कि सभी नागरिकों, खासतौर पर वंचित और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक चिकित्सीय सुविधाएं कैसे पहुंचाई जाएं। आधुनिक टेक्नोलाजी और टेली मेडिसिन के जरिये इन चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कालेज स्थापित करने में जुटे हैं। एसजीपीजीआइ को इन उभरते हुए मेडिकल कालेजों का हाथ थामकर उन्हें उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित करना चाहिए। चिकित्सीय सुविधाओं के विस्तार में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियां (थेरेपी) टेक्नोलाजी आधारित समाधानों की पूरक हो सकती हैं। आयुर्वेद जैैसी प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति और योग ने कोरोना महामारी में अपनी उपयोगिता बखूबी साबित की है। कोविड संकट जारी रहने के मद्देनजर उन्होंने चिकित्सकों का आह्वान किया कि वे कोरोना टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक करते रहें।
निर्धनों-असहायों की सेवा करें, मरीजों का विश्वास जीतें : संस्थान की कुलाध्यक्ष के रूप में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संतोष जताया कि केंद्र सरकार ने एसजीपीजीआइ के स्कूल आफ टेली मेडिसिन को राष्ट्रीय मेडिकल कालेज नेटवर्क के प्रभारी केंद्र के रूप में चुना है। समारोह में उपाधियां प्राप्त करने वाले चिकित्सकों से उन्होंने अपने अंदर मानवीय संवेदनाओं जैसे गुणों को समाहित करने की अपील की। कहा कि मानवता के प्रति संवेदनशीलता आपको सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराने के साथ आपके विचारों को भी परिपक्व करेगा। उन्होंने कहा कि मेरी कामना है कि आप श्रेष्ठ चिकित्सक बनें, निर्धन और असहायों की सेवा करें और मरीजों का विश्वास जीतें। आपकी सेवाएं इस संस्थान से प्राप्त शिक्षा का मापदंड बनेंगी। कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर उन्होंने चिकित्सकों को इसका मुकाबला करने के लिए तैयार रहने को कहा।
119 विद्यार्थियों को मिलीं उपाधियां : समारोह में विभिन्न चिकित्सीय पाठ्यक्रमों के 119 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने संस्थान में उत्कृष्ट कार्य के लिए चार चिकित्सकों/शोध छात्र को अवार्ड दिए। स्तन कैंसर पर अनुसंधान के लिए एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के डा. गौरव अग्रवाल को प्रो.एसआर नाईक अवार्ड, अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए एंडोक्राइनोलाजी विभाग के पीएचडी छात्र संगम रजत को प्रो.एसएस अग्रवाल अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ डीएम विद्यार्थी के लिए प्रो.आरके शर्मा अवार्ड क्लीनिकल इम्युनोलाजी एंड रियुमेटोलाजी विभाग की डा. पंक्ति मेहता और सर्वश्रेष्ठ एमसीएच विद्यार्थी के लिए प्रो. आरके शर्मा अवार्ड यूरोलाजी विभाग के डा. सीतांशु काकोटी को प्रदान किया गया। इससे पहले संस्थान के अध्यक्ष व मुख्य सचिव आरके तिवारी ने एसजीपीजीआइ की उपलब्धियां और कोरोना काल में उसकी चिकित्सीय सेवाओं के बारे में जानकारी दी। समारोह में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना भी मौजूद थे। चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद जताया।
एसजीपीजीआइ की देखरेख में बन रहा देश का सबसे बड़ा टेली आइसीयू : दीक्षांत समारोह में एसजीपीजीआइ के निदेशक प्रो.आरके धीमन ने बताया कि संस्थान की देखरेख में प्रदेश में हाटस्पाट माडल पर आधारित एक टेलीआइसीयू का निर्माण किया जा रहा है। एसजीपीजीआइ इसके हब के रूप में काम करेगा। यह टेली आइसीयू गोरखपुर, कानपुर, प्रयागराज, झांसी, मेरठ और आगरा के मेडिकल कालेजों के 200 आइसीयू बेड को जोड़ेगा।
नवंबर में शुरू होगी एयर एंबुलेंस सेवा : एसजीपीजीआइ निदेशक ने बताया कि संस्थान में इमर्जेंसी मेडिसिन विभाग, गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र और एयर एंबुलेंस सेवा इसी साल नवंबर से शुरू होगी। मधुमेह के मरीजों को सभी चिकित्सीय सुविधाएं एक छत के नीचे मुहैया कराने के लिए एडवांस्ड डायबिटीज सेंटर का निर्माण भी इसी साल शुरू हो जाएगा। लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम को गति देने के लिए हिपेटोलाजी विभाग को प्रारंभ किया जा चुका है।
1980 को रखी गई थी आधारशिला : लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की आधारशिला 14 दिसंबर 1980 को रखी गई थी। लगभग 41 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक सुपर स्पेशलिटी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा केंद्र स्थापित करने का विचार सोचा गया और इसी विचार को मूर्त रूप देने के लिए 14 दिसम्बर 1980 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी के ने इस संस्थान की आधारशिला रखी। 1982 के उत्तरार्ध में इसके निर्माण का प्रथम चरण का आरंभ हुआ। वर्ष 1988 से रोगी सेवा व शैक्षणिक कार्य प्रारंभ हुहुए। तब से आज तक संस्थान रोगी को उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा, विद्यार्थियों को सर्वोत्तम शिक्षा व नवीन शोध की दिशा में निरंतर अग्रसर है।

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