दुराचार के मामले में फांसी की सजा पाने वाला बन गया बाबा
शराब व्यवसायी से महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वाले सचिन दत्ता के साथ राधे मां के बाद इलाहाबाद का एक दुराचारी चर्चा में हैं। इलाहाबाद के भेरौ को दुराचार तथा हत्या के मामले में फंसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया।
लखनऊ। शराब व्यवसायी से महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वाले सचिन दत्ता के साथ राधे मां के बाद इलाहाबाद का एक दुराचारी चर्चा में हैं। इलाहाबाद के भेरौ को दुराचार तथा हत्या के मामले में फंसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया। इन दिनों दुराचारी भैरो नासिक के कुंभ मेला में संयासी बनकर प्रवचन दे रहा है। इलाहाबाद की पुलिस उसके नासिक में होने की खबर मिलते ही सक्रिय हो गई है।
दुराचार और हत्या के जुर्म में फांसी की सजा पाने वाले मुजरिम भैरो ने इन दिनों 'पीतांबरी' ओढ़ ली है। संन्यासी बन गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा होने के बाद से वह फरार है। पुलिस को पता चला है कि वह संन्यासी बन गया है और नासिक कुंभ में है। इंटेलीजेंस विंग नासिक भेजी गई थी, लेकिन उसे दबोचा नहीं जा सका। यह हाल तब है जब इस प्रकरण में आइजी जोन बीबी शर्मा खुद सक्रिय हैं। उन्होंने एक अतिरिक्त टीम इस काम में लगा दी है।
कौशांबी में पइंसा क्षेत्र के कैमा गांव के भैरो के खिलाफ 2008 में मासूम से दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया था। जेल भेजे जाने के बाद जिला एवं सत्र एवं न्यायालय ने आरोपी को 2010 में फांसी व 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। भैरो को 2012 में हाईकोर्ट से जमानत मिली। इसके बाद वह जेल से रिहा हो गया। इसके कुछ दिन के बाद से भैरो गायब हो गया। फिर इस प्रकरण की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने लगी। कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसपी कौशांबी को आरोपी के साथ तलब किया था। 17 अगस्त को एसपी कौशांबी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज बिना आरोपी भैरो के कोर्ट में पेश हुए। उनके निवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को पेश करने की मोहलत दे दी। फिलहाल भैरो की खोजबीन में पुलिस एड़ी-चोटी का जोर लगाए है।
बीते दिनों पता चला कि भैरो अब संन्यासी बन गया है और नासिक कुंभ में है। इंटेलीजेंस विंग प्रभारी विपिन त्रिवेदी टीम के साथ नासिक कुंभ मेला पहुंचे। कई अखाड़ों में भैरो की तलाश की, लेकिन वह हत्थे नहीं चढ़ा। भैरो के संन्यासी बनने का पता एक अखाड़े से मिली फोटो से चला। इंटेलीजेंस विंग ने पुरानी फोटो का नई फोटो से मिलान कराया। पुष्टि होने के बाद ही पुलिस नासिक गई।