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    शुगर के इलाज में बेहद कारगर है सेमाग्‍लूटाइड, इंसु‍ल‍िन इंजेक्‍शन पर आने की आशंका होती है बहुत कम

    विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) पर प्रो. सुशील गुप्ता ने बताया कि सामान्य दवाएं लंबे समय तक काम नहीं करतीं। नई जनरेशन की दवा शुगर नियंत्रित करने के साथ ही बीटा सेल को भी क्रियाशील बनाती है। सेमाग्लूटाइड इसी वर्ग की नई जनरेशन का रसायन है।

    By Anurag GuptaEdited By: Updated: Sun, 14 Nov 2021 07:34 AM (IST)
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    एसजीपीजीआइ के प्रोफेसर ने शुगर के इलाज में सेमाग्लूटाइड को पाया कारगर।

    लखनऊ, [कुमार संजय]। डायबिटीज मरीजों को शुगर नियंत्रण में रखने के लिए रोज गोली खानी पड़ती है। कई बार वह भूल भी जाते है। अब नया नुस्खा आ गया है, जो हफ्ते में केवल एक बार लेना होगा। इससे पूरे सप्ताह शुगर लेवल नियंत्रण में रहेगा। इस नुस्खे में इस्तेमाल होने वाले रसायन का नाम है सेमाग्लूटाइड। एसजीपीजीआइ (संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान) के एंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. सुशील गुप्ता ने शुगर के इलाज में इस रसायन को बेहद कारगर पाया है ।

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    विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) पर प्रो. सुशील गुप्ता ने बताया कि सामान्य दवाएं लंबे समय तक काम नहीं करतीं। नई जनरेशन की दवा शुगर नियंत्रित करने के साथ ही बीटा सेल को भी क्रियाशील बनाती है। सेमाग्लूटाइड इसी वर्ग की नई जनरेशन का रसायन है। यह जीएलपी (गुड लैबोरेटरी प्रैक्टिस)-वन रिसेप्टर पर काम करता है, जिससे शुगर का लेवल कम होता है। यह रसायन इस रिसेप्टर पर लंबे समय तक काम करता है। पहले यह केवल इंजेक्शन के रूप में आता था, लेकिन अब ओरल (गोली) के रूप में आने लगा है। हमने कई मरीजों का इस दवा से इलाज शुरू किया। काफी अच्छा रेस्पांस मिल रहा है। यह शरीर के भार को भी कम करता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध की आशंका कम होती है।

    दिल के साथ शुगर भी नियंत्रित : प्रो. सुशील गुप्ता के अनुसार, डायबिटीज के मरीजों में दिल की परेशानी की आशंका रहती है। इसके लिए एसजीएलटी (सोडियम ग्लूकोज लिंक्ड ट्रांसपोर्टर)-2 रसायन आ गया है। हमने एक हजार से अधिक मरीजों का इस दवा से इलाज शुरू किया है। इसकी खासियत यह है कि यह हार्ट को भी सुरक्षित रखता है। हार्ट अटैक की आशंका को कम करता है। जिन्हें डायबिटीज नहीं है, केवल दिल की बीमारी है, उनमें यह दवा हार्ट फेल्योर की आशंका को कम करता है।

    राजधानी में हर तीसरे बुजुर्ग को शुगर एसजीपीजीआइ के प्रो. सुशील गुप्ता और प्रो. सुभाष यादव ने अपने शोध के आधार पर कहा कि राजधानी के हर तीसरे बुजुर्ग शुगर की चपेट में हैं। 20 से 70 वर्ष की आबादी में से करीब नौ प्रतिशत लोगों को डायबिटीज है। इनमें भी एक तिहाई को यह पता ही नहीं है कि वे डायबिटिक हैं। इससे शुगर से जुड़ी दिक्कतें और बढ़ जाती हैं।