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    Kitne Surakshit Hain School : यहां जोखिम भरे माहौल में पढ़ाई करते हैं बच्चे, होती है सरस्वती वंदना

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 01:38 PM (IST)

    Kitne Surakshit Hain School दैनिक जागरण ने अपने अभियान कितने सुरक्षित हैं स्कूल के दूसरे दिन चार विद्यालयों (राम भरोसे मैकू लाल इंटर कालेज मोहनलालगंज के धनवारा मदाखेड़ा और गौतम खेड़ा प्राथमिक विद्यालय) की पड़ताल की। यहां स्थिति दयनीय दिखी। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग के आलाधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितने गंभीर हैं।

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    ऐतिहासिक राम भरोसे मैकूलाल इंटर कालेज की हालत खस्ता

    अंशू दीक्षित, जागरण, लखनऊ : राजधानी लखनऊ में सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जिनकी कक्षाओं में प्लास्टर गिर रहा है, बिजली के खुले तार छात्रों के लिए खतरा बने हुए हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

    दैनिक जागरण ने अपने अभियान "कितने सुरक्षित हैं स्कूल" के दूसरे दिन चार विद्यालयों (राम भरोसे मैकू लाल इंटर कालेज, मोहनलालगंज के धनवारा, मदाखेड़ा और गौतम खेड़ा प्राथमिक विद्यालय) की पड़ताल की। यहां स्थिति दयनीय दिखी। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग के आलाधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितने गंभीर हैं। मजबूरी में छात्र ऐसी स्थितियों में पढ़ने को विवश हैं। राजस्थान में पिछले सप्ताह एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। कई बच्चे घायल हो गए थे।

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    इस दुर्घटना के दृष्टिगत जागरण टीम गुरुवार को सबसे पहले तेलीबाग स्थित राम भरोसे मैकू लाल इंटर कालेज पहुंची। कक्षा सात, आठ, नौ व दस के बच्चों ने बताया कि शिकायत करने पर उल्टे डांट पड़ती है। छात्र तालाब के पास ही खुले में शौच को मजबूर है। डर रहता है कि पानी में डूब न जाएं, क्योंकि शौचालय में ताला बंद रहता है। स्कूल की कैंटीन के बगल में 630 केवीए का ट्रांसफार्मर रखा है, जिसका गेट हमेशा खुला रहता है, जो खतरे की घंटी है।

    प्रिंसिपल, शिक्षक और बच्चों को स्कूल छोड़ने वाले अभिभावक सब कुछ देखकर भी अंजान बने हुए हैं। प्रधानाचार्य डा. रामचंद्र गौतम कहते हैं कि तमाम पत्राचार किए, पर कोई सुनवाई नहीं होती। इसलिए विद्यालय की स्थिति खराब होती जा रही है।

    वर्ष 1951 में स्थापित राम भरोसे मैकूलाल इंटर कालेज का भी हाल कुछ ऐसा ही है। जिम्मेदार इस विद्यालय का हाल लेने के लिए तक नहीं आते। स्कूल में खिड़कियों के नाम पर ग्रिल लगी है, शौचालय तो हैं, लेकिन उनमें ताला बंद है और जर्जर हालत में हैं। खेलने के लिए विद्यालय में कई हजार वर्ग फीट का मैदान भी है, लेकिन घुटने तक घास है। जलभराव और फिसलन इतनी है कि दस कदम चलते ही चोट लगनी तय है। केंद्र और राज्य सरकार राजस्थान के एक स्कूल में हुई दुर्घटना को लेकर चिंतित भले हो, लेकिन कुछ कर नहीं पा रही हैं।

    गौतम खेड़ा प्राथमिक विद्यालय मोहनलालगंज की जर्जर दीवार- खुली खिड़की

    मोहनलालगंज का गौतमखेड़ा प्राथमिक विद्यालय बाहर से देखने में ऐसा लगता है कि सब ठीक है, लेकिन जैसे ही कक्षाओं में प्रवेश करेंगे तो किसी में प्लास्टर गिर रहा है तो किसी में सरिया तक दिखने लगी हैं। इधर बरसात ज्यादा होने पर प्रधानाध्यापिका सुधा गुप्ता कहती हैं कि कक्षा चार व पांच के बच्चों को एक साथ बैठाया है, क्योंकि बगल वाली कक्षा की हालत जर्जर है। कमरे की दीवार, छत, खिड़कियों के चारों तरफ से प्लास्टर गिर चुका होता है। जिस कमरे में पढ़ाती है, उसमें भी पानी देर तक बरसात होने पर टपकता है। शौचालयों की हालत काफी खराब है। बरसात में बिजली के स्विच बोर्ड में करंट उतर आता है और पंखे आए दिन जल जाते हैं।

    टूटी बाउंड्रीवाल कब गिर जाए पता नहीं

    मोहनलालगंज के मदाखेड़ा प्राथमिक विद्यालय की बाउंड्रीवाल, मुख्य प्रवेश द्वार सब जर्जर अवस्था में है। छज्जा भी पंचायत चुनाव के समय एक बार गिर चुका है। अभी भी हालत अच्छी नहीं है। स्कूलों के कमरे बरसात में टपकते हैं। बच्चों के बैठने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है और न खेलने का मैदान। मैदान ने जंगल का रूप ले लिया है। प्रधानाध्यापिका इमेलडा लकरा कहती हैं कि दिव्यांग के लिए शौचालय बनना था, कमरा बनाकर छोड़ दिया, शौचालय की हालत ठीक नहीं है। छतों से पानी टपकता है। इसको लेकर खंड शिक्षा अधिकारी को लिखकर दिया जा चुका है। अभी तक फिलहाल कुछ नहीं हुआ।

    शौचालय में काफी बड़ा गड्ढा

    मोहनलालगंज स्थित धनवारा प्राथमिक स्कूल का शौचालय बच्चों के लिए खतरा बना हुआ है। यहां काफी बड़ा गड्ढा है और बाउंड्रीवाल पूरी टूट चुकी है, जो कभी भी गिर सकती है। इसको लेकर विद्यालय की इंचार्ज प्रियंका श्रीवास्तव अधिकारियों को अवगत करा चुकी है। साथ ही स्थानीय प्रधान के संज्ञान में मामला है। इसके बाद भी जर्जर बाउंड्रीवाल कई सप्ताह से एक तरह पूरी तरफ से लटक गई है। शौचालय के पास सीवर का गड्ढा खुला है, उसके ऊपर ढक्कन लगना है, जो अभी तक लग नहीं सका।