एसबीआई के दो अधिकारियों को तीन-तीन साल की सजा, कंपनी पर सीबीआई ने लगाया जुर्माना
भारतीय स्टेट बैंक के दो अधिकारियों को भ्रष्टाचार के एक मामले में तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए कुछ निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे बैंक को वित्तीय नुकसान हुआ। जांच के बाद अदालत ने उन्हें दोषी पाया और सजा सुनाई।

विधि संवाददाता, लखनऊ। कूटरचित और जाली दस्तावेजों के सहारे 5.72 करोड़ रुपये का टर्म लोन लेकर उसे किसी और मद में खर्च करके बैंक को नुकसान पहुंचाने की आरोपी कंपनी अद्यापोलो प्रोजेक्ट्स लि. पर सीबीआई कोर्ट ने दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस मामले में आरोपी कंपनी को सहयोग करने वाले एसबीआइ लखनऊ के लोकल हेड आफिस के तत्कालीन उप प्रबंधक सुभाष चंद्र अग्रवाल और डेस्क आफिसर जाय चक्रवर्ती को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने तीन-तीन साल की कैद और तीस- तीस हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी रहे आद्यापोलो प्रोजेक्ट्स लि. के निदेशक क्रांति कुमार सिंह की मौत हो गई थी। सीबीआई ने 26 मार्च 2010 को एसबीआइ मुख्य शाखा लखनऊ के उप महाप्रबंधक की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना की थी।
रिपोर्ट दर्ज कराकर कहा गया कि मेसर्स आद्यापोलो प्रोजेक्ट्स के निदेशक क्रांति कुमार सिंह ने एसबीआइ के उप प्रबंधक सुभाष चंद्र अग्रवाल और डेस्क आफिसर जाय चक्रवर्ती के साथ मिलकर साजिश की और जाली व कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बैंक से 5.72 करोड़ रुपये का टर्म लोन लिया और उस टर्म लोन को तीन अन्य सप्लायर कंपनियों के खाते मे जमा कराया।
आगे कहा गया कि आरोपी क्रांति कुमार और कंपनी ने लिए गए ऋण को उस मद में खर्च नहीं किया जिस मद के लिए ऋण लिया था।

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