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    Sawan 2022: खजाना छिपाने के लिए नवाब वाजिद अली शाह ने कराया था पंचमुखी मंदिर का निर्माण, पढ़ें इसका रोचक इतिहास

    By Vrinda SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 04 Aug 2022 12:21 PM (IST)

    सकरौरा में एक ऐसा शिवमंदिर है जिसे गुप्त खजानों वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है। लखौरी ईंट से बना मंदिर अपने में इतिहास को समेटे हुए है। साथ ही कई अनसुलझे सवाल लोगों के जहन में आज भी कौंध रहे हैं।

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    Sawan 2022: पंचमुखी मंदिर के निर्माण का रोचक इतिहास पढ़ें।

    पंकज मिश्र, गोंडा। सकरौरा में एक ऐसा शिवमंदिर है, जिसे गुप्त खजानों वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है। लखौरी ईंट से बना मंदिर अपने में इतिहास को समेटे हुए है। साथ ही कई अनसुलझे सवाल लोगों के जहन में आज भी कौंध रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, वाजिद अली शाह अवध के नवाब थे। उनके कारिंदे नाजिम (प्रबंधकर्ता या मुख्य लिपिक) राय सघन लाल उनका कामकाज देखते और राजस्व वसूलते थे। यहीं पर उनकी शाही छावनी हुआ करती थी।

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    नवाब एक दिन अपने निवास स्थान से सेवकों के साथ 18 ऊंट पर धन लदवाकर लखनऊ की तरफ जा रहे थे। रास्ते में घाघरा नदी के पास उन्हें सूचना मिली कि अंग्रेज उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आ रहे हैं। इस पर उन्होंने धन को वापस भेज दिया। इसे परिसर में सुरक्षित जमींदोज करा दिया गया। साथ ही शिव मंदिर की स्थापना करा दी।

    यहां दो शिव मंदिर अगल-बगल स्थित हैं। इनमें एक पंचमुखी तो दूसरा आशुतोष त्र्यंबकेश्वर महादेव महाकालेश्वर शामिल हैं। अंदर एक देवी मंदिर भी था, जो अब खंडहर में तब्दील हो गया है। उसी के बगल गायत्री मंदिर का निर्माण कराया गया है। यहीं के निवासी अशोक शुक्ल बताते हैं कि बगल में एक देवी मंदिर था। जहां पत्थर पर कुछ संख्या दर्ज थी। इसे लोग खजाने का गुप्त पता मान रहे थे।

    पत्थर पर लिखे संख्या को आधार मानकर कुछ लोगों ने खोदाई भी की लेकिन, उनके हाथ कुछ नहीं लग सका। अब तो पत्थर भी गायब हो चुका है। इतना ही नही मंदिर में यहां जो चहारदीवारी बनी थी उसमें भी विशेष कला का प्रयोग किया गया था। खासियत थी कि ये छेद बाहर से बिल्कुल भी नहीं दिखते थे। इसके अंदर से बाहर आने वालों को देख लिया जाता था। इसे सुरक्षा की दृष्टि से बनाया गया था।

    वाजिद अली शाह के समय में हुआ था शिव मंदिर का निर्माण : पुजारी तिलकराम तिवारी कहते हैं कि 1981 से भगवान की सेवा कर रहे हैं। इस मंदिर का निर्माण नवाब वाजिद अली शाह के समय हुआ था। यहां स्थित पुरानी देवी मंदिर का भवन गिर चुका है। शंकर जी की आराधना की जाती है। दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि जानकार इस मंदिर में गुप्त खजाना छिपा होने की बात कहते हैं। कई बार कुछ लोगों ने चोरी से जमीन की खोदाई भी की लेकिन, उनके हाथ कुछ नहीं लग सका।

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