UP News: सारनाथ को विश्व धरोहर की स्थायी सूची में शामिल कराने की तैयारी, जानें इससे क्या होगा फायदा?
उत्तर प्रदेश सरकार वाराणसी के सारनाथ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की तैयारी कर रही है। ताजमहल आगरा किला और फतेहपुर सीकरी पहले से ही इस सूची में शामिल हैं। सारनाथ 1988 से अस्थायी सूची में है। यूनेस्को के मानकों को पूरा करने पर इसे स्थायी सूची में शामिल किया जा सकता है जिससे इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और वित्तीय सहायता मिलेगी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पर्यटन विभाग ने वाराणसी में स्थित प्रमुख बौद्ध धर्म स्थल सारनाथ को विश्व धरोहर घोषित कराने की तैयारी शुरू कर दी है। यूनेस्को की विश्व धरोहर की स्थायी सूची में अभी तक उत्तर प्रदेश में स्थित ताजमहल, आगरा का किला व फतेहपुर सीकरी को ही शामिल किया गया है।
ताजमहल व आगरा के किला को वर्ष 1983 में और फहेतपुर सीकरी को 1986 में विश्व धरोहरों की स्थायी सूची में शामिल किया गया था, जबकि सारनाथ वर्ष 1988 से यूनेस्को की सूची में अस्थायी तौर पर शामिल है।
यूनेस्को की सूची में किसी भी स्थल को शामिल कराने के लिए संबंधित स्थल का मानव रचनात्मक प्रतिभा की उत्कृष्ट कृति होना जरूरी है। इसके अलावा प्रद्योगिकी या वास्तुकला के विकास की कहानी वाला स्थल, मानव इतिहास के उल्लेखनीय चरणों का प्रतिनिधित्व करती इमारत सहित 10 बिंदुओं में से किसी एक की कसौटी पर खरा उतरने पर संबंधित स्थल को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया जाता है। बाद में इसे अस्थायी और फिर स्थायी सूची में शामिल किया जाता है।
वर्तमान में सारनाथ, वाराणसी रिवर फ्रंट, बनारस और मुबारकपुर में स्थित साड़ी बुनाई क्लस्टर विश्व धरोहर की सूची में अस्थाई तौर पर शामिल हैं। साड़ी बुनाई क्लस्टर को वर्ष 2014 में यूनेस्को की सूची में अस्थायी तौर पर शामिल किया था।
इन दोनों स्थलों को इंडो इस्लामिक बुनाई कला विद्या, रेशम व जरी के उद्योग के लिए सूची में शामिल किया गया था। वहीं वाराणसी रिवर फ्रंट को वर्ष 2021 में अस्थायी सूची में शामिल किया गया था।
हाल ही में सोनभद्र में स्थित सलखन जीवाश्म पार्क को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गया है। सलखन के जीवाश्म लगभग 140 करोड़ वर्ष पुराने हैं। अस्थायी सूची में शामिल स्थलों में से सारनाथ उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना स्थल है।
मिलते हैं यह लाभ
विश्व धरोहर की सूची में स्थायी तौर पर शामिल होने से संबंधित स्थल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता, कानूनी संरक्षण व वित्तीय सहायता मिलती है। दुनियाभर के पर्यटक संबंधित स्थल पर घूमने आते हैं। विश्व धरोहर कोष से संबंधित स्थल के रखरखाव के लिए वित्तीय सहायता मिलती है। उक्त स्थल पर शिक्षा, शोध और अध्ययन किया जाता है।
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