सपा संग्राम : गुबार निकालने के दौरान 'राज' भी खोलते रहे समाजवादी
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में ओहदेदारों ने कल गुबार निकाला तो कई ऐसे राजफाश हो गये जो सियासत के स्याह पहलुओं का गवाह बनेंगे।

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। सियासत में कहा इन्कार जाए तो इकरार समझा जाए, यह जुमला बरसों पुराना है। वजह, फैसलों में पर्देदारी का होना है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में ओहदेदारों ने कल गुबार निकाला तो कई ऐसे राजफाश हो गये जो सियासत के स्याह पहलुओं का गवाह बनेंगे।
दरअसल, संग्राम से आहत व भावुक होकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक-एक कर कई ऐसे राज खोल दिये, जिससे यह साफ हो गया कि साढ़े चार साल में उन्हें तमाम काम करने के लिए 'फ्री हैंड' नहीं मिला।
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यह भी साफ कर किया वह जिस साफ-सुथरी राजनीति के पैरोकार हैं, उसकी राह में नेतृत्व रोड़ा अटकाता रहा है।फिर चाहे गायत्री प्रजापति की मंत्री पद से बर्खास्तगी और फिर उसे मंत्री पद देने की बात रही हो या फिर आइएएस दीपक सिंघल को मुख्य सचिव नियुक्त करने, हटाने और नियुक्त कराने के पीछे का दबाव, सबका खुलासा मुख्यमंत्री ने कर दिया। वह रौ में एक-एक राज खोलते चले गए।
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दर्द यह था कि अमर सिंह परिवार को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। और फिर जब बारी शिवपाल यादव की आई तो वह भी नहीं ठहरे।कुछ दिन पहले तक साइकिल से चलने वालों के पास अचानक फाच्युर्नर जैसी गाडिय़ों के काफिले का जिक्र करते हुए सवाल उठाया आखिर दलाली नहीं की तो इतनी जल्दी यह सब कैसे आया? उन्होंने इशारों में ही सही गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, मैनपुरी, आगरा में जमीनों के कब्जे, शराब के कारोबार का सवाल उठाते हुए कहाकि उनको ऐसे लोगों का संरक्षण था जिनके पास सरकार थी।
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शिवपाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने कई राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की मदद में जोड़तोड़ से लेकर वर्ष 2003 की सरकार बनाने में शामिल लोगों और उसके तरीकों का खुलासा भी कर दिया। बात इन दोनों तक सीमित नहीं रही, पार्टी के मुखिया व संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने भी न जाने किस रौ में यह खुलासा कर दिया है कि उन्हें अमर सिंह ने जेल जाने से बचाया। सियासत में यह सब कुछ नया नहीं है और शायद ही कोई दल इससे अछूता हो।पार्टी के मुखिया के सामने कल जिस तरह से और समाजवादियों ने जिस अंदाज में बहुतों के सामने इसका खुलासा किया, उससे यह बातें स्याह रूप में ही दर्ज की जाएगी कि सपा में अनुशासन समाप्त होने की ओर है।

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