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    संगठन में बदलाव से चुनावी जमीन तैयार करेगी सपा, हाल ही में हटाए गए हैं 100 विधानसभा सीटों और जिलों के प्रभारी

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 04:00 AM (IST)

    UP Politics चुनावी तैयारियों में जुटी सपा संगठन में फेरबदल की तैयारी कर रही है। हाल ही में जिलों और विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों को हटा दिया गया था। उनके कमजोर प्रदर्शन और गुटबाजी के सवाल उठने के बाद यह कार्रवाई की गई। अब उनके स्थान पर नए प्रभारियों की तैनाती की ही जानी है कई जिलों के संगठन में भी बदलाव पर विचार हो रहा है।

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    समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखि‍लेश यादव।- फाइल फोटो

    दिलीप शर्मा, लखनऊ। चुनावी तैयारियों में जुटी सपा संगठन में फेरबदल की तैयारी कर रही है। हाल ही में जिलों और विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों को हटा दिया गया था। उनके कमजोर प्रदर्शन और गुटबाजी के सवाल उठने के बाद यह कार्रवाई की गई। अब उनके स्थान पर नए प्रभारियों की तैनाती की ही जानी है, कई जिलों के संगठन में भी बदलाव पर विचार हो रहा है। इस बदलाव के सहारे पार्टी अपनी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) और जातीय गोलबंदी की रणनीति काे विस्तार देना चाहती है। जिससे पंचायत चुनाव से पहले बूथ स्तर तक चुनावी जमीन मजबूत की जा सके और विधानसभा की राह भी आसान हो सके।

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    वर्ष 2012 में प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली सपा बीते दो चुनावों में इसे वापस हासिल नहीं कर पाई है। वहीं 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, परंतु वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता मिली थी। अब पार्टी नेतृत्व वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी ऐसे ही प्रदर्शन की तैयारी में जुटा है।

    इसके लिए पूर्व में जीती गई विधानसभा सीटों पर तो जोर है ही, उन सीटों पर पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां पार्टी कभी जीत हासिल नहीं कर पाई है। पिछले दिनों पार्टी ने अपना बूथ करो मजबूत की रणनीति के तहत 100 विधानसभा क्षेत्रों और रणनीति के दायरे में आ रहे जिलों में प्रभारियों की तैनाती की थी। इन प्रभारियों को जिला संगठन के साथ मिलकर बूथ स्तर तक संगठन तैयार कराना था और वहां के नेताओं की कार्यशैली को लेकर रिपोर्ट देनी थी। इस बीच कई प्रभारियों पर गुटबाजी के सवाल थे। इनमें कई प्रभारी संबंधित जिलों के थे या उनके वहां के नेताओं के साथ पुराने संपर्क थे। इसके साथ ही बूथ प्रबंधन की रणनीति को भी पूरी तरह अमल में नहीं लाया जा सका। माना जा रहा है कि इसके चलते ही प्रभारियों को हटाया गया है।

    अब नए सिरे से होने वाली तैनाती में पीडीए और स्थानीय जातीय समीकरणों को परखा जा रहा है। पूर्व में जिलाध्यक्षों की तैनाती और प्रत्याशियों के चयन में यही फार्मूला अपनाया जाता रहा है। साथ ही प्रभारियों को अब उनके मूल जिले से अन्य जगहों पर तैनाती करने पर भी विचार हो रहा है। पार्टी की रणनीति बूथ समितियों के गठन और चुनाव प्रबंधन तंत्र को व्यापक बनाने की है। पंचायत चुनाव में इसकी परख होगी। पार्टी का मानना है कि यदि पंचायत चुनावों में संगठन सफलता से बूथ स्तर तक सक्रिय हो गया तो विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत नींव तैयार हो जाएगी।

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