Sahara India: सहारा इंडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड की याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार और नगर निगम लखनऊ से मांगा जवाब
Sahara India Corporation Limited Writ पीठ ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद कहा कि इस मामले पर विचार की आवश्यकता है और इसलिए पक्षकारों को मामले में अपनी दलीलों का आदान-प्रदान करने का निर्देश दिया। सहारा ने सहारा शहर में भूमि पर कब्जा करने और उसके सभी छह द्वारों को सील करने के नगर निगम के रुख का कड़ा विरोध किया।

विधि संवाददाता, जागरण, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने सहारा इंडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड की दायर याचिका पर बुधवार को नगर निगम लखनऊ और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने सहारा इंडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड की दायर याचिका पर पारित किया।
इस याचिका में नगर निगम के सहारा शहर को सील करने के आदेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने नगर निगम लखनऊ और राज्य सरकार को 30 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि सहारा शहर के अंदर कोई मवेशी बचा है, तो उसे कान्हा उपवन ले जाया जाए और उसकी उचित देखभाल की जाए।
पीठ ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद कहा कि इस मामले पर विचार की आवश्यकता है और इसलिए पक्षकारों को मामले में अपनी दलीलों का आदान-प्रदान करने का निर्देश दिया। सहारा ने सहारा शहर में भूमि पर कब्जा करने और उसके सभी छह द्वारों को सील करने के नगर निगम के रुख का कड़ा विरोध किया। याचिका में यह कहा गया कि सहारा शहर के अंदर संपत्तियों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की कोई सूची तैयार नहीं की गई थी। यह भी कहा गया कि मामले में कोई जल्दबाजी नहीं थी और पूरी कार्रवाई सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना और परिसर खाली करने के लिए नोटिस जारी किए बिना जल्दबाजी में की गई है।
याचिका का विरोध करते हुए, नगर निगम ने कहा कि 1994 में दिए गए लीज डीड के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया गया था और इसलिए 2020 और 2025 में भी नोटिस जारी किए गए थे और सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद परिसर को सील करने की कार्रवाई की गई है।
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